भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पिता पूनमचंद यादव का आज 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। पूनमचंद यादव लंबे समय से बीमार थे और इंदौर में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन के बाद प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पिता के निधन के कारण कई सरकारी और निजी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है। परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि पूनमचंद यादव पिछले कुछ समय से गंभीर रूप से बीमार थे और उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा था। मुख्यमंत्री इस दुखद घड़ी में अपने परिवार के साथ हैं और उन्होंने सभी सरकारी कार्यों से अवकाश ले लिया है।
प्रदेश के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने पूनमचंद यादव के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है। अंतिम संस्कार के कार्यक्रम की जानकारी जल्द ही दी जाएगी।
यादव समाज से जुड़े लोग बताते हैं कि पूनमचंद यादव ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया। उन्होंने बेटे नंदू यादव, नारायण यादव, मोहन यादव और बेटी कलावती, शांति देवी को पढ़ाया-लिखाया। संघर्ष के दिनों में उनके पिता रतलाम से उज्जैन आ गए और सबसे पहले हीरा मिल में नौकरी की। इसके बाद शहर के मालीपुरा में भजिया और फ्रीगंज में दाल-बाफले की दुकान लगाई। 100 वर्ष की उम्र होने के बाद भी वे उपज बेचने खुद मंडी जाते थे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने फादर्स डे (15 जून) पर पिता पूनमचंद यादव से मुलाकात की थी। सीएम ने पैसे मांगे तो उन्होंने 500 रुपए के नोटों की गड्डी निकालकर थमा दी। सीएम ने एक नोट रखा और बाकी लौटा दिए थे। इसी दौरान पिता ने सीएम बेटे को ट्रैक्टर सुधरवाने का बिल भी थमा दिया था।
सीएम ने उनसे पूछा- बैंक में कितने पैसे हैं? इस बात पर दोनों हंस दिए। मुख्यमंत्री ने पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था। उनसे कहा था कि ट्रैक्टर सुधारने में जो खर्च हुआ है, वे दे देंगे।