शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली इलाके में एक मस्जिद निर्माण को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। पिछले 5 दिनों से यहां लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। 5 सितंबर को स्थानीय लोगों और विभिन्न संगठनों ने सड़कों पर उतरकर विरोध जताया और अवैध मस्जिद निर्माण को गिराने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने 2 दिन का अल्टीमेटम दिया है।
पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह का दौरा
पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह भी प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कानून को हाथ में लेने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस बीच, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अनिरुद्ध सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि वह भाजपा की भाषा बोल रहे हैं।
मस्जिद के पास 31 अगस्त को एक स्थानीय व्यक्ति के साथ मारपीट की घटना के बाद मामला भड़क गया। पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया, लेकिन इसके बाद हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों ने मस्जिद को अवैध बताकर इसे गिराने की मांग की।
विवाद की जड़ 5 मंजिला मस्जिद का अवैध निर्माण है, जिसे स्थानीय लोगों का कहना है कि बिना अनुमति और नक्शा पास किए बनाया गया है। 73 वर्षीय स्थानीय निवासी श्याम लाल के अनुसार, पहले यहां एक छोटी मस्जिद थी, लेकिन हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में बाहरी लोग आकर बसने लगे और मस्जिद को कई मंजिलों में बदल दिया गया।
मस्जिद के इमाम शहजाद ने कहा कि यह मस्जिद 1947 से पहले की है और पहले यह दो मंजिला कच्ची इमारत थी। नमाज के वक्त बाहर भीड़ हो जाती थी, इसलिए चंदा इकट्ठा करके मस्जिद का पुनर्निर्माण किया गया। इमाम ने बताया कि मस्जिद की दो मंजिलों को लेकर मामला कोर्ट में चल रहा है, और वक्फ बोर्ड इसका कानूनी संघर्ष लड़ रहा है।
राज्य सरकार के मुताबिक, मस्जिद का अवैध निर्माण 2010 में शुरू हुआ था। इसे रोकने के लिए 30 से 35 बार नोटिस दिए गए, लेकिन निर्माण नहीं रुका। इस मामले में 44 सुनवाई हो चुकी हैं, और अगली सुनवाई 7 सितंबर को है। शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने विधानसभा में कहा कि अगर कोर्ट मस्जिद को अवैध घोषित करता है, तो कार्रवाई की जाएगी।
संजौली से शुरू हुआ यह विवाद अब शिमला के अन्य इलाकों में भी फैल रहा है। वीरवार शाम को कुसुम्पटी में भी स्थानीय लोगों ने मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।