भोपाल: भोपाल के रविन्द्र भवन में शुक्रवार को एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम प्रोफेशनल्स द्वारा 8वीं नेशनल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन एजुकेशन 2024 का आयोजन किया गया।
समारोह में दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह देश सभी का है, लेकिन मुस्लिम समुदाय की साक्षरता दर अभी भी केवल 74% है, जबकि मुस्लिम महिलाओं की साक्षरता दर 60% से भी कम है। उन्होंने कहा कि अगर हम इसे शेड्यूल कास्ट (SC) और शेड्यूल ट्राइब (ST) से तुलना करें, तो मुस्लिम समुदाय की स्थिति उनके बराबर ही दिखाई देती है, लेकिन सरकारी नौकरियों में मुसलमान SC और ST से काफी पीछे हैं।
### **शिक्षा और स्वास्थ्य प्राथमिकता होनी चाहिए**
दिग्विजय सिंह ने शिक्षा और स्वास्थ्य की प्राथमिकता पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी देश की उन्नति इन दोनों क्षेत्रों पर निर्भर करती है। आज शैक्षिक संस्थानों में बड़े पैमाने पर पद खाली पड़े हैं, और कॉन्ट्रैक्ट पर शिक्षक नियुक्त किए जा रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त शिक्षक किस प्रकार की गुणवत्ता प्रदान करेंगे? सरकार ने शैक्षिक पहुंच तो बढ़ाई है, लेकिन जब तक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं होता, तब तक वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ना मुश्किल है।
सरकारी स्कूलों की स्थिति चिंताजनक
उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में सरकारी स्कूलों की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि कोई भी अपने बच्चों को वहां भेजना नहीं चाहता। जब वह मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार के लिए *स्कूल ऑफ एक्सीलेंस* की योजना शुरू की थी, जिसमें हर जिले में एक विद्यालय को चुना गया था और वहां बेहतरीन शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। इस योजना से कई स्कूलों के छात्र मेरिट लिस्ट में आने लगे थे। हालांकि, उन्होंने मौजूदा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जुलाई से सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन अभी तक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई है।
कॉन्ट्रैक्चुअल अपॉइंटमेंट खतरा
दिग्विजय सिंह ने कहा कि आज कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किए गए शिक्षक और प्रोफेसर भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा हैं। उन्होंने कहा कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो 15 साल बाद हम किस अतिथि शिक्षक को अवॉर्ड देंगे? शिक्षा के क्षेत्र पर जितना ध्यान देना चाहिए, उतना नहीं दिया जा रहा है, और यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।