भोपाल: मध्यप्रदेश की उन विधानसभा सीटों पर, जहां भाजपा पिछले कई चुनावों से हार रही है, पार्टी ने 2026 में होने वाले परिसीमन के जरिए जीत सुनिश्चित करने की रणनीति तैयार कर ली है। इसके लिए भाजपा ने जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर दिया है। परिसीमन के बाद, एक विधानसभा क्षेत्र में अधिकतम दो से सवा दो लाख मतदाताओं के आधार पर सीटों का पुनर्गठन किया जाएगा, जिससे प्रदेश की मौजूदा 230 विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 275 से 280 तक पहुंच सकती है। भोपाल जिले में भी सीटों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 तक करने की संभावना है।
भोपाल की सीटें: परिसीमन के बाद भोपाल की उत्तर और मध्य सीटों के अलावा नरेला, बुरहानपुर, कटनी, सतना, और ग्वालियर संभाग की सीटों पर भाजपा जीत की कोशिश करेगी। इसके लिए धार्मिक संतुलन के आधार पर इलाकों को घटाने और जोड़ने की योजना बनाई जा रही है। लक्ष्य यह है कि मतदाताओं का बंटवारा 60 और 40 प्रतिशत के अनुपात में हो।
विसंगतियों का मामला: गोविंदपुरा और नरेला विधानसभा क्षेत्रों में कुछ क्षेत्रों के नाम और भूगोल के बीच विसंगतियां हैं। उदाहरण के लिए, गोविंदपुरा नाम से विधानसभा क्षेत्र होने के बावजूद, गोविंदपुरा इलाका वास्तव में इस क्षेत्र में नहीं आता। इसी प्रकार, नरेला क्षेत्र में गोविंदपुरा का हिस्सा शामिल है।
राजधानी भोपाल में बदलाव की तैयारी:
भोपाल की उत्तर, मध्य, और नरेला विधानसभा सीटों का गणित बदलने की तैयारी की जा रही है। वर्तमान में, भोपाल उत्तर सीट पर 70 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता होने के कारण पिछले 30 वर्षों से कांग्रेस ही जीतती आ रही है। इसी प्रकार, भोपाल मध्य सीट में 42 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता होने से यह भी भाजपा से दूर हो गई है। नरेला सीट पर 35 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं के कारण भाजपा बेहद करीबी मुकाबले में जीत सकी है। परिसीमन के बाद भोपाल में विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 10 हो सकती है।
आदिवासी इलाकों में संघ का भरोसा:
आदिवासी बहुल इलाकों में भाजपा पूरी तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निर्भर है। संघ के आनुषांगिक संगठनों की रिपोर्ट इन क्षेत्रों में बेहद महत्वपूर्ण होगी। इन रिपोर्टों में आदिवासियों के धार्मिक परंपराओं, देवताओं, और उनकी समस्याओं के समाधान की स्थिति का विश्लेषण किया जाएगा।
निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन्स:
निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार, 2026 में परिसीमन के बाद लोकसभा और विधानसभा सीटों की गणना में बदलाव किए जाएंगे। भाजपा महामंत्री भगवान दास सबनानी ने कहा कि परिसीमन का प्रारूप मिलते ही जमीनी फीडबैक के आधार पर पार्टी आगे की रणनीति तय करेगी। इससे पहले जिलों और तहसीलों का परिसीमन भी किया जा सकता है, जिसके बाद विधानसभा सीटों के परिसीमन की तैयारी होगी।