मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में एक बार फिर किसानों ने सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। लगभग 200 ट्रैक्टर-ट्राली के साथ सड़कों पर उतरे किसानों ने अपनी मांगों को लेकर जिला मुख्यालय तक मार्च किया, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई। किसानों का मुख्य मांग एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय करने और उसी आधार पर फसल की खरीदी करने की रही।
प्रदर्शन के दौरान किसानों ने एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें उन्होंने सैटेलाइट सर्वे के बजाय मैन्युअल सर्वे कराने और कर्ज माफी की मांग उठाई। उनका कहना था कि उन्हें नेताओं के वादों पर भरोसा नहीं है और जब तक सरकार ठोस निर्णय नहीं लेती, वे सड़क पर उतरते रहेंगे। किसानों ने खरीफ फसल, खासकर सोयाबीन, का दाम 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल तय करने और बोनस की भी मांग की।
हालांकि केंद्र सरकार ने सोयाबीन की समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। राज्य मंत्रिमंडल ने मंगलवार को सोयाबीन का एमएसपी बढ़ाकर 4,892 रुपये प्रति क्विंटल करने के प्रस्ताव को पास कर दिया और इसे मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा था। इस फैसले के साथ ही किसानों को सोयाबीन की उचित कीमत मिलने की उम्मीद है, जो अब तक 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास थी।
राज्य के किसानों के बीच पिछले दिनों चिंता थी कि सोयाबीन की फसल एमएसपी से कम कीमत पर बिक रही थी। अब इस मंजूरी के बाद किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिलेगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहले ही संकेत दिया था कि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों के प्रस्तावों को मंजूरी मिल चुकी है. लेकिन अभी भी किसान सोयाबीन की फसल को 6 हजार रुपये क्विंटल करने की मांग कर रहे हैं.
किसानों का यह भी आरोप था कि सरकार सिर्फ बातों से बहलाती है और वास्तविक रूप से किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं करती। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे।