मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दिव्यांग शासकीय कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण न दिए जाने के मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने सामान्य प्रशासन विभाग और वित्त विभाग के प्रमुख सचिवों को नोटिस जारी कर इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है। अगली सुनवाई चार नवंबर को होगी।
दिव्यांग अधिकारी कर्मचारी संघ ने यह मामला उठाया, जिसमें बताया गया कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के तहत सीधी भर्ती और प्रमोशन दोनों में आरक्षण का प्रावधान है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी कई बार इस संबंध में दिशा-निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार ने 2017 में राज्य सरकारों को दिव्यांगों के लिए नियम बनाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने नियम बनाए, लेकिन दिव्यांगों को केवल सीधी भर्ती में आरक्षण का प्रावधान किया, जबकि प्रमोशन में इसे लागू नहीं किया गया, जिस पर याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता समदर्शी तिवारी ने पक्ष रखा।
इससे पहले जून 2024 में मध्यप्रदेश में लंबे समय से चल रहे प्रमोशन में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा है कि जब तक संविधान पीठ इस मामले में अंतिम फैसला नहीं देती, केंद्र सरकार प्रमोशन में आरक्षण लागू कर सकती है। साथ ही, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार अनुसूचित जाति/जनजाति के कर्मचारियों को नियमों के अनुसार प्रमोशन में आरक्षण का लाभ दे सकती है। इस फैसले से आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों में उत्साह फैल गया है, क्योंकि अब उन्हें जल्द ही प्रमोशन मिलने की संभावना है।