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Thursday, September 19, 2024

भोपाल में मोबाइल डेटा खपत ने तोड़े रिकॉर्ड, मुंबई-दिल्ली से भी आगे निकले

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भोपाल: भोपाल के लोग मोबाइल डेटा खपत के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, यहां के निवासियों ने डेटा खपत के मामले में देश की प्रमुख महानगरों, दिल्ली और मुंबई को भी पीछे छोड़ दिया है। स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल और इंटरनेट की आसान उपलब्धता के कारण राजधानी के लोग एक दिन में औसतन 2 जीबी से अधिक डेटा खर्च कर रहे हैं। चाहे वीडियो स्ट्रीमिंग हो, सोशल मीडिया हो, या नए-नए व्यंजन सीखना—भोपाल के लोग घंटों इंटरनेट पर समय बिता रहे हैं, और उन्हें इसका आभास भी नहीं होता कि उनका डेटा कब खत्म हो जाता है।

महिलाओं से लेकर रैपिडो चालक तक हैं डेटा के दीवाने
सुभाष नगर की गृहिणी अनिता (परिवर्तित नाम) सुबह घर के काम खत्म करने के बाद मोबाइल पर सीरियल देखती हैं और यूट्यूब पर नए-नए व्यंजन बनाना सीखती हैं। वह फेसबुक और यूट्यूब पर घंटों बिताती हैं और बिना जाने ही एक दिन में 2 जीबी डेटा खर्च कर देती हैं।

कटारा हिल्स के रैपिडो चालक राजेश ने भी फोन पर ज्यादा समय बिताने से परेशान होकर रैपिडो चलाने का विकल्प चुना। वे पहले यूट्यूब पर शॉर्ट्स देखने में इतने खो जाते थे कि 3-4 घंटे कब बीत जाते थे, इसका पता ही नहीं चलता था। इसी तरह, ऑटो चालक मगन दिनभर गाने सुनते हैं और एक दिन में 1.5 जीबी डेटा खर्च कर देते हैं।

छोटे शहरों में बढ़ती डेटा खपत
टियर-2 शहरों में मोबाइल डेटा खपत के मामले में भोपाल और इंदौर तेजी से उभर रहे हैं। अन्य शहरों जैसे चंडीगढ़, रायपुर, सूरत, लखनऊ और पटना में भी एक व्यक्ति प्रति माह 45 से 60 जीबी डेटा खर्च कर रहा है, जबकि दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में औसत खपत 30 से 35 जीबी प्रति माह है।

डेटा प्रोवाइडर कंपनियों को हो रहा मोटा मुनाफा
बढ़ती डेटा खपत से टेलीकॉम कंपनियों को छोटे शहरों से भारी मुनाफा हो रहा है। क्रिकेट मैच और बिगबॉस जैसे कार्यक्रमों के दौरान लोग अधिक डेटा रिचार्ज करवाते हैं, जिससे डेटा खपत और भी बढ़ जाती है। सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, गेमिंग, और लाइव स्ट्रीमिंग के कारण डेटा खपत में भारी इजाफा हो रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले समय में भारत दुनिया का सबसे बड़ा डेटा उपभोक्ता देश बन सकता है और 2029 तक चीन को भी पीछे छोड़ सकता है। भोपाल जैसे छोटे शहरों में यह डेटा क्रांति न केवल डिजिटल बदलाव का प्रतीक है, बल्कि यह भारत के छोटे शहरों के लोगों की जीवनशैली में हो रहे परिवर्तनों को भी दर्शाता है।

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