भोपाल: मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने निर्णय लिया है कि अब कोई भी विभाग स्वतंत्र रूप से नई योजना का ऐलान नहीं करेगा। इसके बजाय, सभी योजनाओं का प्रावधान वित्त विभाग के माध्यम से किया जाएगा। साथ ही, जिन विभागों की योजनाएं अब उपयोगी नहीं रह गई हैं, उन्हें अगले वित्त वर्ष में बंद कर दिया जाएगा। यदि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं एक समान हैं, तो राज्य की योजनाओं को केंद्र की योजनाओं में मर्ज किया जाएगा।
वित्त विभाग ने इस संबंध में सभी विभागों को निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष में खर्च होने वाली राशि और अगले वित्त वर्ष 2025-26 के बजट के लिए प्लान तैयार करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
जीरो बजटिंग प्रक्रिया अपनाने का निर्देश
वित्त विभाग ने 2025-26 के बजट के लिए “जीरो बजटिंग” प्रक्रिया लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत, हर विभाग को अपनी योजनाओं की उपयोगिता की समीक्षा करनी होगी और उन योजनाओं को समाप्त करने का प्रस्ताव देना होगा, जो अब उपयोगी नहीं हैं। इसके अलावा, समान उद्देश्यों वाली योजनाओं का संविलयन करने का भी निर्देश दिया गया है।
नई योजनाओं के लिए कड़े नियम
अगर कोई विभाग नई योजना लाना चाहता है, तो उसे पहले प्रशासनिक स्वीकृति के साथ प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजना होगा। इसके बाद ही नई योजनाओं पर विचार किया जाएगा। भारत सरकार की योजनाओं के साथ राज्य की योजनाओं के मर्ज होने की भी प्रक्रिया होगी, ताकि एक ही कार्य के लिए दो योजनाओं का संचालन न हो।
बजट अनुमान पर विस्तृत जानकारी जरूरी
प्रत्येक विभाग को अपने बजट प्रस्ताव के साथ विस्तार से जानकारी देनी होगी कि बजट क्यों आवश्यक है और राशि कहां और कैसे खर्च की जाएगी। विभागों को यह भी बताना होगा कि उनकी योजनाएं कितनी प्रभावी रही हैं और आगामी बजट में उनके लिए फंड की आवश्यकता क्यों है।
बचत की राशि का प्रबंधन
31 मार्च तक जिन विभागों की राशि बचत में है, उसे 15 जनवरी 2025 तक आईएफएमआईएस सिस्टम के माध्यम से सरेंडर करना होगा। यदि बचत राशि को किसी अन्य मद में पुनर्विनियोजित किया जाना है, तो उसका बजट अनुमान कम किया जाएगा और संबंधित मद का बजट अनुमान बढ़ाया जाएगा।
प्रशासकीय विभागों को 31 अक्टूबर 2024 तक अपने बजट अनुमान का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद नई योजनाओं के प्रस्ताव 5 दिसंबर 2024 तक भेजे जाएंगे।
विभागीय अधिकारियों, वित्त उप सचिव, प्रमुख सचिव और मंत्रियों के साथ बजट प्रस्तावों पर चर्चाएं 1 नवंबर से 30 जनवरी 2025 तक होंगी। अंतिम बजट चर्चा जनवरी के अंत तक संपन्न हो जाएगी और मार्च तक बचत की राशि सरेंडर करने का काम पूरा किया जाएगा।