मुरैना: मुरैना की महापौर शारदा सोलंकी अब एक नई कानूनी मुसीबत में फंस गई हैं। उनकी 10वीं की मार्कशीट फर्जी साबित हुई है, जिसके चलते अदालत ने उनके खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं। इस मामले की शुरुआत तब हुई जब भाजपा की महापौर प्रत्याशी मीना जाटव ने कोर्ट में याचिका लगाई, जिसमें उन्होंने शारदा सोलंकी की मार्कशीट और जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताने का आरोप लगाया।
कोर्ट का आदेश और प्रक्रिया
जिला न्यायालय के जेएमएफसी कोर्ट ने सिविल लाइन थाने को आदेश दिया है कि शारदा सोलंकी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जाली दस्तावेज बनाना), और 468 (जाली दस्तावेज का उपयोग) के तहत केस दर्ज किया जाए। वहीं, महापौर शारदा सोलंकी और उनके वकील संजय मिश्रा ने इस निर्णय की जानकारी न होने की बात कही है।
अंकसूची की जानकारी
शारदा सोलंकी ने साल 1986 में पिनाहट के सर्वोदय विद्या मंदिर स्कूल से 10वीं की परीक्षा पास होने का दावा किया था। उनका रोल नंबर 1009025 था, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि इस रोल नंबर पर कोई शारदा पुत्री वासुदेव का दाखिला नहीं हुआ है।
दिलचस्प बात यह है कि यह रोल नंबर नरोत्तम पुत्र भानजीत का है, जो उस परीक्षा में उपस्थित नहीं हुए थे और सभी विषयों में फेल हो गए थे। मीना जाटव ने जब सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी, तो उप्र शिक्षा बोर्ड ने भी इस रोल नंबर के तहत मिली मार्कशीट को नकारते हुए कहा कि यह नरोत्तम का है।
जाति प्रमाण पत्र का मामला
हालांकि, महापौर शारदा सोलंकी के जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ दाखिल याचिका को कोर्ट ने 9 मई 2024 को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ता मीना जाटव यह साबित नहीं कर पाईं कि महापौर उत्तर प्रदेश की निवासी हैं और उनका जाति प्रमाण पत्र फर्जी है।
शारदा सोलंकी ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई हैं, जो उनकी राजनीतिक स्थिति को और भी जटिल बनाता है। इस घटनाक्रम ने न केवल मुरैना की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित किया है, बल्कि स्थानीय लोगों के बीच भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
महापौर शारदा सोलंकी के खिलाफ इस मामले में अदालत का फैसला आने के बाद से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। उनका फर्जी मार्कशीट का मामला न केवल उनकी राजनीतिक करियर को प्रभावित कर सकता है, बल्कि यह आम जनता के विश्वास को भी हिला सकता है। अब देखना यह है कि पुलिस इस मामले में क्या कार्रवाई करती है और महापौर अपनी कानूनी लड़ाई को कैसे आगे बढ़ाती हैं।