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Wednesday, October 16, 2024

भगवान कृष्ण ने यमुना किनारे जो खेल खेला था, उसे अब कॉलेज स्टूडेंट भी खेलेंगे

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भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा विभाग ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पिट्टू खेल (जिसे आमतौर पर ‘सितौलिया’ के नाम से जाना जाता है) को कॉलेज स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में शामिल करने का आदेश जारी किया है। इस खेल को पहले से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पुनः लोकप्रिय बनाने की बात की थी। इस पहल के तहत केंद्र और राज्य सरकारों ने तेजी से कदम उठाए, जिसके परिणामस्वरूप अब पिट्टू को कॉलेजों के खेल कैलेंडर में स्थान मिल गया है।

मप्र उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव वीरन सिंह भलावी ने कॉलेज स्तर पर पिट्टू खेल को शामिल करने का आदेश जारी किया है। यह निर्णय पिट्टू फेडरेशन ऑफ इंडिया की उस मांग के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि 12वीं कक्षा तक राष्ट्रीय स्तर पर इस खेल में भाग लेने वाले छात्रों को आगे के वर्षों में इसे खेलने का अवसर नहीं मिल पाता था।

2022-23 में मप्र स्कूल शिक्षा विभाग ने पहली बार पिट्टू को स्कूल खेलों में शामिल किया था, जिसके बाद से यह खेल तेजी से लोकप्रिय हो गया। अब कॉलेज स्तर पर इसे खेलने की अनुमति मिलने से इस पारंपरिक खेल को और अधिक व्यापक पहचान मिलेगी।

फेडरेशन और सरकार की भूमिका

पिट्टू फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश विजयवर्गीय के अनुसार, वर्तमान में यह खेल देश के 24 राज्यों के लाखों बच्चों द्वारा खेला जा रहा है। अब कॉलेजों में इसके शामिल होने से इसमें भाग लेने वाले छात्रों की संख्या में भारी वृद्धि की उम्मीद है। राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताओं के 2024-25 के कैलेंडर में इसे शामिल किया गया है। वहीं, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने भी इस खेल को अपने खेल कैलेंडर का हिस्सा बना लिया है।

पिट्टू खेल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

पिट्टू एक ऐसा खेल है जिसका उल्लेख प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा यमुना किनारे अपने बाल सखाओं के साथ पिट्टू खेलने का वर्णन मिलता है, जो इस खेल की प्राचीनता और धार्मिक महत्व को उजागर करता है। इस खेल को प्राचीन समय में ग्रामीण भारत में बहुत ही लोकप्रिय माना जाता था, और आज भी कई क्षेत्रों में इसे खेला जाता है।

पिट्टू खेल के नियम और संरचना

पिट्टू या सितौलिया एक टीम गेम है, जिसमें दो टीमें होती हैं। खेल में एक छोटा गोला और सात छोटी ईंटों या पत्थरों को एक पिरामिड के आकार में रखा जाता है। एक टीम का उद्देश्य बॉल फेंककर इस पिरामिड को गिराना होता है, जबकि दूसरी टीम का काम उसे फिर से बनाने का प्रयास करना होता है। इस खेल में फुर्ती, सामरिक सोच और टीम वर्क की आवश्यकता होती है।

खेल के नियम:

  1. खेल में दो टीमें होती हैं, हर टीम में 6 से 7 खिलाड़ी होते हैं।
  2. एक टीम बॉल से पत्थरों को गिराने का प्रयास करती है।
  3. दूसरी टीम को पत्थरों को फिर से पिरामिड के आकार में लगाना होता है, जबकि विरोधी टीम बॉल से उन्हें रोकने की कोशिश करती है।
  4. खेल की अवधि और अंक प्रणाली अलग-अलग हो सकती है, लेकिन मुख्य उद्देश्य पिरामिड को दुबारा बनाना होता है।

आगे की योजना

पिट्टू फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रदेश सचिव गुलाब सिंह चौहान के अनुसार, फेडरेशन का लक्ष्य है कि इस साल पिट्टू को ‘खेलो इंडिया’ और ‘नेशनल गेम्स’ में भी शामिल कराया जाए। इसका उद्देश्य इस खेल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है, जिससे यह खेल आने वाली पीढ़ियों में फिर से लोकप्रिय हो सके।

पिट्टू खेल को स्कूलों और अब कॉलेज स्तर पर शामिल करने का निर्णय न केवल इस पारंपरिक खेल को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और खेलों से जुड़ने का अवसर भी प्रदान करेगा। उच्च शिक्षा विभाग का यह कदम पारंपरिक खेलों को आधुनिक संदर्भ में पुनर्जीवित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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