भोपाल: मध्यप्रदेश में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। सरकार द्वारा बार-बार युवाओं के लिए रोजगार योजनाओं और राहत पैकेजों की घोषणा की जाती है, लेकिन जमीनी हकीकत में बहुत कम सुधार दिखता है। हर साल बजट में रोजगार के नाम पर बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन अधिकांश योजनाएं फाइलों तक ही सीमित रह जाती हैं। इस बीच, बेरोजगार युवा केवल आश्वासनों और झूठे दिलासों के सहारे जी रहे हैं।
युवाओं की सबसे बड़ी मांगों में से एक है ‘वन टाइम फीस’ (एक बार परीक्षा शुल्क) का लागू होना, ताकि सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे युवाओं को बार-बार परीक्षा फीस भरने से राहत मिल सके।
वन टाइम फीस की मांग का उदय
बेरोजगार युवाओं का कहना है कि वे अक्सर अपने गांव, कस्बों और छोटे शहरों से भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर जैसे बड़े शहरों में सरकारी नौकरियों की तैयारी के लिए आते हैं। यहां रहने और खाने का खर्च पहले ही उनकी आर्थिक स्थिति से बाहर होता है। इसके अलावा, हर बार अलग-अलग परीक्षाओं के लिए फीस भरना उनकी स्थिति को और जटिल बना देता है।
केंद्र सरकार की वन नेशन, वन इलेक्शन योजना के बीच मध्यप्रदेश के युवा अब ‘वन टाइम फीस’ की मांग कर रहे हैं। यह मांग राज्य की डॉ. मोहन यादव सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा दिखा सकती है, जिससे लाखों बेरोजगार युवाओं को राहत मिलेगी।
शिवराज सरकार में जारी हुआ था आदेश
मध्यप्रदेश में ‘वन टाइम फीस’ की दिशा में कदम पहले भी बढ़ चुके हैं। अप्रैल 2023 में शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं के लिए वन टाइम परीक्षा शुल्क और रजिस्ट्रेशन की सुविधा का आदेश जारी किया था। हालांकि, यह आदेश केवल एक साल के लिए लागू किया गया था, और चुनावी मौसम के मद्देनजर इसे एक दिखावटी निर्णय के रूप में देखा गया।
वित्त मंत्री का बजट भाषण और अधूरी घोषणाएं
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 2024 के बजट भाषण में घोषणा की थी कि राज्य सरकार बेरोजगार युवाओं द्वारा जमा की जाने वाली परीक्षा फीस के भार को कम करने के लिए एक नई नीति बनाएगी। लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह युवाओं के लिए एक बड़ी निराशा का कारण बन रहा है, क्योंकि उन्हें अब तक कोई राहत नहीं मिली है।
बेरोजगारों से भारी फीस वसूली
सरकारी परीक्षाओं के लिए बेरोजगार युवाओं से 400 रुपये से लेकर 1200 रुपये तक की भारी-भरकम फीस वसूली जा रही है। कांग्रेस नेता पारस सकलेचा ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को बेरोजगार युवाओं से इतनी फीस वसूलने के बजाय अच्छे अधिकारियों और कर्मचारियों के चयन के लिए खुद खर्च करना चाहिए।
वन टाइम फीस: समाधान की दिशा में
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार ‘वन टाइम फीस’ लेकर बेरोजगार युवाओं को बड़ी राहत दे सकती है। यह न केवल आर्थिक रूप से युवाओं के लिए सहायक होगा, बल्कि इससे उनकी सरकारी नौकरियों की तैयारी का बोझ भी कम होगा।