भोपाल: राष्ट्रीय सरपंच संघ मध्य प्रदेश की पंचायतों को अधिक स्वायत्तता और अधिकार देने की मांग कर रहा है। संघ का दावा है कि वर्तमान में पंचायतों के पास कोई ठोस अधिकार नहीं हैं, जिससे गांवों की आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण बाधित हो रहा है। इस आंदोलन का उद्देश्य गांवों को अधिक अधिकार दिलाना है, ताकि पंचायती राज व्यवस्था को मजबूती मिल सके। सरपंच संघ की मांगें पूरी न होने की स्थिति में 18 अक्टूबर को 2 घंटे का राज्यव्यापी सड़क जाम करने की भी चेतावनी दी गई है।
दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय सरपंच संघ के संघर्ष का समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव और पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल से आग्रह किया है कि वे इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और राजीव गांधी के सपने के अनुरूप पंचायतों को अपने संसाधनों पर नियंत्रण और विकास के फैसले करने का अधिकार मिलना चाहिए। सिंह ने इस मांग को पूरा न किए जाने की स्थिति में 18 अक्टूबर को प्रत्येक गांव में 12 से 2 बजे तक सड़क जाम करने की चेतावनी दी है।
सरपंच संघ की आंदोलन की योजना
राष्ट्रीय सरपंच संघ ने 2 अक्टूबर से 10 अक्टूबर के बीच प्रदेश के सभी 23,000 ग्राम पंचायतों में धरना देने और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने की योजना बनाई है। अगर इन पांच दिनों के भीतर सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो 18 अक्टूबर को राज्यव्यापी चक्का जाम किया जाएगा। इसके बाद भी अगर सरकार ने मांगें नहीं मानीं, तो सरपंच संघ रेल रोको और जेल भरो आंदोलन शुरू करेगा।
दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर आरोप लगाया कि उन्होंने पंचायती राज को कमजोर कर दिया है। सिंह ने कहा कि जब वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने पंचायती राज में कई सुधार किए थे, जिसमें महिलाओं के लिए आरक्षण और ग्राम पंचायतों को अधिकार देने की पहल की गई थी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने इस व्यवस्था को कमजोर कर दिया है और सरपंचों के पास अब कोई अधिकार नहीं बचे हैं।
मुख्यमंत्री और मंत्री से अपील
सिंह ने मुख्यमंत्री मोहन यादव और पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल से अपील की है कि वे सरपंच संघ की मांगों पर विचार करें और पंचायतों को उनके उचित अधिकार दिलाएं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार ने इन मांगों को नजरअंदाज किया, तो पंचायत स्तर पर आंदोलन और तेज किया जाएगा।
सरपंच संघ का उद्देश्य
राष्ट्रीय सरपंच संघ का मुख्य उद्देश्य गांवों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है। संघ के अनुसार, वर्तमान में पंचायत प्रतिनिधियों के पास कोई अधिकार नहीं हैं, जिससे गांवों के विकास में बाधाएं आ रही हैं। सरपंच संघ का मानना है कि अगर पंचायतों को अधिक अधिकार दिए जाते हैं, तो गांवों का विकास तेज गति से हो सकेगा।
अगले कदम की तैयारी
सरपंच संघ ने स्पष्ट किया है कि अगर सरकार उनकी मांगों को समय पर पूरा नहीं करती, तो उनका आंदोलन और उग्र हो जाएगा। 18 अक्टूबर को चक्का जाम के बाद रेल रोको और जेल भरो आंदोलन भी किया जाएगा, जो राज्य में बड़े पैमाने पर प्रभाव डाल सकता है।
दिग्विजय सिंह का समर्थन और राष्ट्रीय सरपंच संघ की चेतावनी ने मध्य प्रदेश में पंचायती राज अधिकारों की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन को एक नया मोड़ दे दिया है। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव और उनकी सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त करने के लिए क्या कदम उठाती है.