ग्वालियर: सिंधिया राजघराने की कुलदेवी मानी जाने वाली माडरे वाली माता का मंदिर ग्वालियर में नवरात्रि के दौरान विशेष आस्था का केंद्र बन जाता है। यहां पर नवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो देवी काली का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। यह मंदिर न केवल सिंधिया घराने के लिए, बल्कि स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए भी असीम महत्व रखता है।
मंदिर की ऐतिहासिक महिमा
माडरे वाली माता का यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जिन्हें शक्ति और साहस की देवी माना जाता है। इसका इतिहास 143 वर्ष पुराना है। इस मंदिर की स्थापना सिंधिया राजघराने के कर्नल आनंद राव माडरे द्वारा की गई थी। कहा जाता है कि वे देवी काली की मूर्ति को अपने गांव से यहां लेकर आए और इस मंदिर की स्थापना की। तभी से यह मंदिर सिंधिया घराने की कुलदेवी के रूप में प्रतिष्ठित हो गया है।
सिंधिया परिवार की श्रद्धा
सिंधिया परिवार के सदस्य, जिनमें महाराज माधव राव सिंधिया और वर्तमान में ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं, नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर के अंदर सिंधिया परिवार के पूर्वजों की तस्वीरें भी लगी हुई हैं, जो मंदिर से उनकी गहरी आस्था को दर्शाती हैं।
नवरात्रि के दौरान विशेष आयोजन
हर नवरात्रि, यहां पर एक विशेष मेला भी लगता है, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु माता का दर्शन करने आते हैं। मंदिर का सुव्यवस्थित ढांचा और प्राचीन वास्तु कला लोगों को बिना किसी भीड़भाड़ के माता के दर्शन का अवसर प्रदान करती है। इस दौरान यहां पर माता काली की विशेष पूजा होती है, जिसे सिंधिया परिवार और स्थानीय भक्तगण बड़े उत्साह के साथ संपन्न करते हैं।
माडरे वाली माता की मान्यता
माडरे वाली माता का मंदिर ग्वालियर के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। देवी काली की महिमा के चलते, यह स्थान हर नवरात्रि में एक विशेष केंद्र बन जाता है, जहां भक्त न केवल आशीर्वाद प्राप्त करने, बल्कि मंदिर की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर का अनुभव करने भी आते हैं।
नवरात्रि के दौरान यह मंदिर शक्ति और आस्था का प्रतीक बन जाता है, जो सिंधिया घराने की सांस्कृतिक धरोहर को भी समृद्ध करता है।