कैसे हुआ हादसे का पता?
घटना तब हुई जब एक मालगाड़ी बिरला नगर रेलवे ट्रैक से गुजर रही थी। ट्रेन की गति उस समय मात्र 12 किलोमीटर प्रति घंटा थी। पायलट की नजर ट्रैक पर पड़ी लोहे की छड़ों पर गई और उन्होंने तुरंत मालगाड़ी को रोक दिया। इस सूझ-बूझ के कारण एक बड़ा हादसा होते-होते बच गया।
जीआरपी और आरपीएफ की सक्रियता
ट्रैक पर लोहे की छड़ें मिलने के बाद ग्वालियर जीआरपी और आरपीएफ ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। घटना के बाद अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है और इस साजिश के पीछे कौन है, इसका पता लगाने के लिए जांच जारी है। फिलहाल रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और स्थानीय पुलिस संदिग्ध गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं और जांच को तेज कर दिया गया है।
पहले भी सामने आ चुकी हैं ऐसी घटनाएं
ग्वालियर की इस घटना से पहले जबलपुर और खंडवा में भी ट्रेनों को पलटाने की साजिश रचने के मामले सामने आ चुके हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि कुछ असामाजिक तत्व लगातार रेलवे ट्रैकों को निशाना बना रहे हैं, जो न केवल यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरनाक है, बल्कि रेलवे संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचा सकता है।
रेलवे की सतर्कता और सुरक्षा जरूरी
इस घटना ने रेलवे की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि, मालगाड़ी के धीमी गति से चलने और पायलट की सतर्कता के कारण इस बार दुर्घटना टल गई, लेकिन रेलवे सुरक्षा बल और अन्य एजेंसियों को सतर्क रहने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी कोई साजिश सफल न हो सके।
इस तरह की घटनाएं स्थानीय जनता में चिंता का कारण बनती हैं, क्योंकि वे न केवल यात्रियों की जान को खतरे में डालती हैं, बल्कि रेलवे की भरोसेमंद छवि पर भी असर डालती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि रेलवे ट्रैक की सुरक्षा व्यवस्था को और भी मजबूत किया जाना चाहिए ताकि ऐसी साजिशों का समय पर पता लगाया जा सके। इस घटना के बाद रेलवे प्रशासन ने सुरक्षा उपायों को और कड़ा करने की बात कही है।