इंदौर: जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र वर्मा के 12 साल पुराने एक्सीडेंट मामले में इंदौर नगर निगम के पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे और तत्कालीन निगमायुक्त योगेंद्र शर्मा के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। यह मामला 2012 में हुए एक सड़क हादसे से जुड़ा है, जिसमें वर्मा की बाइक सड़क पर गड्ढे में गिर गई थी और उन्हें गंभीर चोटें आई थीं। इस मामले में अब न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी निधि श्रीवास्तव ने दोनों अधिकारियों पर लापरवाही से चोट पहुंचाने और सार्वजनिक मार्ग में बाधा डालने के आरोपों में केस दर्ज करने का आदेश दिया है।
हादसे की पृष्ठभूमि
यह हादसा 22 अप्रैल 2012 को हुआ था, जब सुरेंद्र वर्मा अपनी बाइक से धार रोड पर जा रहे थे। रामकृष्ण बाग के पास सड़क पर एक बड़ा गड्ढा खुदा हुआ था, और उसके आसपास निर्माण सामग्री भी बिखरी पड़ी थी। न तो वहां किसी प्रकार का संकेतक लगा था और न ही पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था थी। इस लापरवाही के कारण वर्मा की बाइक गड्ढे में जा गिरी, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं और उनके हाथ की सर्जरी करनी पड़ी।
नगर निगम पर लापरवाही का आरोप
वर्मा ने घटना के बाद पुलिस और नगर निगम में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वर्मा का आरोप है कि नगर निगम की लापरवाही और सड़क निर्माण के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन न करने के कारण यह हादसा हुआ।
अदालत का फैसला
वर्मा के द्वारा दायर याचिका पर न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे और तत्कालीन निगमायुक्त योगेंद्र शर्मा के खिलाफ धारा 283 (सार्वजनिक मार्ग में बाधा डालना) और धारा 338 (लापरवाही से चोट पहुंचाना) के तहत केस दर्ज करने का आदेश दिया है। चूंकि मोघे पूर्व सांसद भी रह चुके हैं, इसलिए यह मामला विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट को ट्रांसफर किया गया है।
नतीजों की प्रतीक्षा
इस केस ने नगर निगम की कार्यप्रणाली और सड़कों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना प्रशासनिक लापरवाही की गंभीरता को उजागर करती है, जिसमें नागरिकों की सुरक्षा से खिलवाड़ किया जाता है। अब देखना होगा कि विशेष अदालत इस मामले में क्या निर्णय लेती है, और नगर निगम के अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की जाएगी।