भोपाल: राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में प्रभार के जिलों को लेकर चल रही असंतुष्टि को जल्द ही दूर किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव दीपावली के बाद कुछ मंत्रियों के प्रभार में बदलाव करने की योजना बना रहे हैं। इससे उन मंत्रियों को राहत मिलने की उम्मीद है जो अपने प्रभार के जिलों की अधिक दूरी और कठिनाईयों को लेकर असंतुष्ट थे।
मंत्रियों की शिकायतों पर सरकार का रुख
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य के मंत्रियों को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन कुछ मंत्रियों ने जिलों की दूरी और प्रभार के चलते हो रही असुविधा को लेकर नाराजगी जताई थी। सूत्रों के अनुसार, यह मुद्दा दिल्ली तक पहुंच गया था, लेकिन सदस्यता अभियान और सरकार के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के चलते तब कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।
हाल के दिनों में कुछ मंत्रियों ने प्रभार के जिलों की दूरियों के कारण हो रही कठिनाइयों पर मुख्यमंत्री से पुनर्विचार का अनुरोध किया था। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि उनकी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाए जाएंगे।
संभावित बदलाव और मंत्रियों की नाराजगी
सूत्रों के अनुसार, नाराजगी दूर करने के लिए सरकार कुछ मंत्रियों के प्रभार वाले जिलों में परिवर्तन करने की योजना बना रही है। कई वरिष्ठ मंत्रियों ने भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से असंतोष व्यक्त किया है, और कुछ अहम बैठकों से दूर भी रहे हैं। हालांकि, उन्होंने अपने कारणों की सफाई देकर सरकार को संतुष्ट करने की कोशिश की है।
कौन से मंत्री हो सकते हैं प्रभावित
- जगदीश देवड़ा (उपमुख्यमंत्री): उपमुख्यमंत्री देवड़ा के प्रभार में जबलपुर और देवास शामिल हैं। उनके प्रभार के जिलों में से किसी एक को बदला जा सकता है।
- कैलाश विजयवर्गीय (वरिष्ठ मंत्री): वर्तमान में विजयवर्गीय सतना और धार के प्रभारी हैं। संभावना है कि सतना की जगह उन्हें कोई और बड़ा और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जिला सौंपा जा सकता है।
- करण सिंह वर्मा (राजस्व मंत्री): मुरैना और सिवनी जिले के प्रभार के कारण वर्मा ने भी नाराजगी जताई है, क्योंकि ये जिले उनके गृह क्षेत्र से काफी दूर हैं। उनका कोई एक जिला बदला जा सकता है।
- संपत्तिया उइके (कैबिनेट मंत्री): उइके के पास सिंगरौली और अलीराजपुर जिलों का प्रभार है। बताया जा रहा है कि उनका कोई एक जिला वापस लिया जा सकता है।
- इंदर सिंह परमार (उच्च शिक्षा मंत्री): परमार के पास पन्ना और बड़वानी का प्रभार है और उन्होंने भी प्रभार के जिलों को लेकर असंतोष जताया है। उनके किसी एक जिले में बदलाव हो सकता है।
- प्रद्युम्न सिंह तोमर (ऊर्जा मंत्री): तोमर के प्रभार में पाढुर्ना और शिवपुरी शामिल हैं, जबकि उनका गृह जिला ग्वालियर है। पाढुर्ना की दूरी को ध्यान में रखते हुए उनका प्रभार बदला जा सकता है।
मुख्यमंत्री खुद छोड़ सकते हैं प्रभार का एक जिला
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी अपनी व्यस्तता के चलते इंदौर जिले के पालक मंत्री का प्रभार छोड़ सकते हैं। संभावना है कि यह जिम्मेदारी किसी वरिष्ठ मंत्री को सौंपी जाएगी।
अंतिम निर्णय दीपावली के बाद
सरकार के सूत्रों के अनुसार, प्रभार वाले जिलों में बदलाव की प्रक्रिया दीपावली के बाद शुरू की जाएगी। अनुमान है कि लगभग 10 मंत्रियों के प्रभार के जिलों में परिवर्तन किया जा सकता है।
मंत्रियों के प्रभार वाले जिलों की नाराजगी को दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे संभावित बदलाव से न केवल मंत्रियों को राहत मिलेगी, बल्कि सरकार के भीतर संतुलन भी कायम रहेगा। यह बदलाव मंत्रियों की कार्यक्षमता को बेहतर बनाएगा और उनकी जिम्मेदारियों को सही दिशा में पुनः निर्धारित करेगा।