नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एशिया प्रशांत विभाग के निदेशक, कृष्णा श्रीनिवासन ने कहा कि भारत वित्त वर्ष 2024-25 में 7 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि हासिल कर सकता है, जिसका समर्थन ग्रामीण खपत में सुधार से होगा, क्योंकि इस वर्ष फसलें अनुकूल रही हैं। हालांकि कुछ उतार-चढ़ाव हो सकते हैं, फिर भी इस अवधि में मुद्रास्फीति के घटकर 4.4 प्रतिशत तक आने की उम्मीद है, खासकर खाद्य कीमतों के सामान्य होने के कारण।
श्रीनिवासन ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है और देश की वृहद आर्थिक बुनियाद मजबूत है। उन्होंने राजकोषीय स्थिति को स्थिर बताया, खासकर चुनावों के बावजूद, और भारत के फॉरेक्स रिजर्व को भी काफी अच्छा बताया।
उन्होंने आगे बताया कि चुनाव के बाद सुधारों की प्राथमिकता तीन मुख्य क्षेत्रों में होनी चाहिए। सबसे पहले, रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए 2019-20 में स्वीकृत श्रम संहिताओं को लागू करना महत्वपूर्ण है, जिससे श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा मिलेगी और श्रम बाजार मजबूत होंगे। दूसरा, व्यापार पर कुछ पाबंदियों को हटाने की जरूरत है ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़े और नौकरियों का सृजन हो सके। तीसरा, बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से कृषि, भूमि सुधारों, शिक्षा और कौशल विकास पर ध्यान देना जरूरी है।
उन्होंने कार्यबल के कौशल में निवेश और शिक्षा में सुधार पर जोर दिया, ताकि भारत सेवा क्षेत्र में अधिक नौकरियां सृजित कर सके। साथ ही, उन्होंने सामाजिक सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने, लालफीताशाही को कम करने और कारोबारी माहौल में सुधार की आवश्यकता पर भी बल दिया।
श्रीनिवासन ने महिलाओं की श्रम शक्ति में कम भागीदारी और युवाओं में बेरोजगारी पर भी चिंता व्यक्त की, यह कहते हुए कि रोजगार सृजन के लिए बेहतर माहौल बनाना आवश्यक है।