ग्वालियर। तीन माह की गर्भवती महिला, जिसे स्वास्थ्य सुविधाओं के दावों के बावजूद समय पर इलाज नहीं मिला, ने आखिरकार दम तोड़ दिया। मृतक महिला के पति ने कहा कि अगर उसे समय पर चिकित्सा मिलती, तो उसकी पत्नी की जान बच सकती थी। मंजू, जो जीतू की पत्नी है और बनवार की निवासी थी, को ब्लीडिंग होने पर मंगलवार दोपहर 12 बजे प्रसूति गृह मुरार में इलाज के लिए लाया गया।
मंजू को भर्ती कराने के लिए उसके परिजन दोपहर से लेकर रात तक परेशान होते रहे। रात में नर्सिंग स्टाफ ने डॉक्टर की अनुपस्थिति का हवाला देते हुए उन्हें सुबह आने के लिए कहा। इसके बाद स्वजन मंजू को वापस गांव ले गए। जब उसकी तबीयत और बिगड़ गई, तो सुबह पांच बजे उसे फिर से प्रसूति गृह मुरार लाया गया। हालांकि, शनिवार को भी स्टाफ ने उसे भर्ती नहीं किया, जिससे उसकी स्थिति बिगड़ती गई और वह बेहोश होकर गिर गई। उसके बाद जब उपचार किया गया, तब तक उसकी सांसें थम चुकी थीं।
मंजू (24) के शरीर में अत्यधिक ब्लीडिंग के कारण खून की कमी हो गई थी, जो उसकी मौत का मुख्य कारण बनी। उसके परिवार ने प्रसूति गृह में लापरवाही के प्रति आक्रोश व्यक्त किया।
मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने हंगामे की आशंका से पुलिस को बुला लिया। पुलिस के पहुंचने पर मृतका के परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया और शव को ले जाने का निर्णय लिया। जीतू ने कहा कि डॉक्टर और स्टाफ की लापरवाही के चलते उनकी पत्नी की जान गई है, जिससे उनके दो बच्चे अब मां के बिना रह गए हैं।
इस मामले की जांच के लिए मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सचिन श्रीवास्तव ने डॉ. दीपाली माथुर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है, जो मामले की जांच कर सीएमएचओ को रिपोर्ट देगी। दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।