जबलपुर। बांधवगढ़ में सभी दसों हाथियों की मौत हो चुकी है। मौत की वजह का पता लगाने के लिए बांधवगढ़ पार्क प्रबंधन से लेकर भोपाल और जबलपुर के वन विभाग के अधिकारी जुटे रहे।
वेटरनरी विश्वविद्यालय के स्कूल आफ वाइल्ड लाइफ से एक्सपर्ट की टीम बांधवगढ़ पहुंचकर हाथियों का पोस्टमार्टम किया। यह सभी मादा हाथी थे। अपशिष्ट की जांच में कोदो-कुटकी का अपशिष्ट भी मिला था, जिसमें बड़ी मात्रा में माइक्रो टाक्सिक होने की बात सामने आई है। प्रारंभिक जांच में हार्थियों की मौत की वजह यही बना है।
जांच टीम के मुताबिक हाथियों के झुंड ने पिछले दिनों लगभग 10 एकड़ खेत में रखी काेदू-कुटकी की फसल खाई थी। जांच के दौरान पता चला है कि यह फसल, जंगल में रहने वाले किसानों को पिछले कुछ दिन पहले काटकर खेत में रखी थी, जिससे इनमें जहर के लक्षण होने की संभावना बढ़ गई। पेट और अन्य अंगों में मिला माइक्रो टाक्सिक से मौत होना की आशंका जताई थी।
प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक-एक कर 10 हाथियों ने दम तोड़ दिया। मंगलवार को सात हाथियों की मौत हुई थी। बुधवार को एक अन्य हाथी की जान चली गई। गुरुवार तक सभी हाथियों की मौत हो गई।
जबलपुर से पहुंचे प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने हाथियों की मौत को गंभीरता से लेते हुए जांच के लिए एसआइडी गठित कर दी है। वहीं एनटीसीए यानी नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी दिल्ली की टीम भी बांधवगढ़ पहुंची थी।
जबलपुर स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट के दो वेटनरी डा. अमोल रोकड़े और डा. निधि राजपूत के साथ तीन पीएचडी बांधवगढ़ में मौत की वजह जानने में जुटे रहे। जांच दल ने हाथियों के ब्लड, बिसरा आदि के सैम्पल लिए हैं। इनकी जांच अब वाइल्ड लाइफ की लैब में की जाएगी।
पार्क के अंदर मौजूद भोजन सामग्री के सैंपल भी लिए जा रहे हैं। जिनका सेवन हाथियों ने किया है। पोखर, तालाब से पानी के सैंपल भी लिए गए हैं। हालांकि मौत जहर से हुई, पर यह कहां से आया, इसका पता नहीं चला है।