भोपाल। मध्य प्रदेश की सरकार ने नगरीय निकायों के करोड़ों रुपये के बकाया बिजली बिल चुकाने का निर्णय लिया है। आर्थिक संकट में फंसे इन निकायों की सहायता के लिए चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि का उपयोग किया जाएगा, जिससे उनकी बिजली की देनदारी चुकाई जा सकेगी।
मप्र नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इस मद से 60 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। इसमें से सबसे अधिक 31 करोड़ रुपये पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को दिए जाएंगे, जिससे इंदौर नगर निगम के 23 करोड़ रुपये का बकाया बिल समायोजित किया जाएगा। इसके अलावा भोपाल नगर निगम के 5 करोड़, जबलपुर के 5.5 करोड़ और ग्वालियर के 2.5 करोड़ रुपये का बिल भी चुकाया जाएगा।
नगरीय निकायों की वित्तीय स्थिति इस कदर बिगड़ चुकी है कि वे अपने बिजली के बिल समय पर चुकाने में असमर्थ हैं। इसके पीछे मुख्य कारण है कि इन निकायों की वसूली बेहद कम है। पेयजल, स्ट्रीट लाइट आदि के लिए विद्युत वितरण कंपनियों से बिजली की आपूर्ति की जाती है, लेकिन स्थानीय निकायों द्वारा रहवासियों से शुल्क की वसूली में कमी आई है।
इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि का उपयोग बिजली के बकाया बिलों का भुगतान करने का निर्णय लिया है। यह राशि अब मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के बजाय बिजली बिल चुकाने में खर्च की जाएगी। इससे विद्युत वितरण कंपनियों पर भी दबाव कम होगा और उनकी सेवा में भी कोई बाधा नहीं आएगी।
मध्य प्रदेश सरकार ने नवंबर में तीन विद्युत वितरण कंपनियों को 60.17 करोड़ रुपये के बिल चुकाने के आदेश दिए हैं। जिन निकायों के बकाया बिल 1 करोड़ रुपये से अधिक हैं, उनमें इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, कटनी, सागर, सतना, देवास, खंडवा और रतलाम है।