नई दिल्ली: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण का विशेष महत्व है, जिसे खगोलीय घटनाओं में भी शामिल किया जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से ग्रहण को शुभ-अशुभ प्रभावों से जोड़ा जाता है। साल 2024 की तरह 2025 में भी दो सूर्य ग्रहण लगेंगे।
पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को होगा और दूसरा 21 सितंबर को। दोनों आंशिक सूर्य ग्रहण होंगे। चूंकि ये भारत में दिखाई नहीं देंगे, इसलिए इनका **सूतक काल** भारत में मान्य नहीं होगा। हालांकि, जिन देशों में यह ग्रहण दिखेगा, वहां सूतक ग्रहण से 12 घंटे पहले शुरू हो जाएगा।
सूर्य ग्रहण कब और कैसे लगता है?
ज्योतिष के अनुसार, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और सूरज की रोशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती, तो सूर्य ग्रहण होता है।
– आंशिक सूर्य ग्रहण:जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य पूरी तरह से एक सीध में नहीं होते और चंद्रमा केवल सूर्य के कुछ हिस्से को ढकता है।
– वलयाकार सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है और सूर्य को पूरी तरह ढकने में असमर्थ रहता है, तब सूर्य के चारों ओर ‘आग की रिंग’ दिखाई देती है।
– हाइब्रिड सूर्य ग्रहण: इसे वलयाकार-पूर्ण ग्रहण भी कहा जाता है। इसमें सूर्य का कुछ हिस्सा ढका और कुछ हिस्सा खुला रहता है।
साल 2025 में सूर्य ग्रहण के समय और स्थान
1.पहला सूर्य ग्रहण
– तारीख: 29 मार्च 2025
– समय (भारतीय समयानुसार): सुबह 2:20 बजे से 6:13 बजे तक
– स्थान: यूरोप, एशिया के कुछ हिस्से, अफ्रीका, उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका, अटलांटिक और आर्कटिक महासागर।
– भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए इसका कोई प्रभाव नहीं होगा।
2. दूसरा सूर्य ग्रहण
– तारीख: 21 सितंबर 2025
– समय: रात 10:59 बजे से 22 सितंबर की सुबह 3:23 बजे तक
– स्थान: ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, प्रशांत और अटलांटिक महासागर।
– यह भी भारत में नहीं देखा जा सकेगा।
ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें
– पूजा-पाठ: सूतक काल में पूजा-पाठ बंद कर दें।
– घर का मंदिर: मंदिर को पर्दे से ढक दें और ग्रहण के दौरान देवी-देवताओं की पूजा न करें।
– भोजन:ग्रहण के समय खाना-पीना न करें।
– सावधानी: खाद्य पदार्थों में तुलसी के पत्ते डालकर रखें।
– गर्भवती महिलाएं: घर से बाहर न निकलें और ग्रहण देखने से बचें।
– शुद्धिकरण: ग्रहण समाप्ति के बाद घर और पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करें।