जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने राजधानी भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड परिसर में पड़े जहरीले कचरे को एक महीने के भीतर हटाने का आदेश दिया है।
इस संबंध में एक सप्ताह के भीतर एक संयुक्त बैठक बुलाकर सभी औपचारिकताएं पूरी करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने यह चेतावनी भी दी है कि यदि कोई विभाग आदेश का पालन करने में विफल रहता है, तो उसके प्रमुख सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, राज्य के मुख्य सचिव और भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देना होगा।
सरकार अपने कानून को लागू क्यों नहीं कर रही
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से यह सवाल पूछा है कि वह ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए बनाए गए अपने कानून को क्यों लागू नहीं कर रही है। बुधवार को उस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें सरकार द्वारा विभिन्न भर्तियों में 13 प्रतिशत पदों को होल्ड किए जाने को चुनौती दी गई है।
करीब तीन सौ ओबीसी और ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों की याचिकाएं इस मामले में लंबित हैं। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने इन याचिकाओं को लिंक कर एकसाथ सुनवाई करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।
27 प्रतिशत आरक्षण कानून पर कोई रोक नहीं
याचिकाकर्ता निकिता सिंह और अन्य की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने तर्क दिया कि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने वाले कानून पर कोई रोक नहीं है, फिर भी सरकार इसे लागू नहीं कर रही है। महाधिवक्ता ने पूर्व में पारित अंतरिम आदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि अंतिम चरण की प्रक्रिया के बाद ओबीसी के हजारों अभ्यर्थियों को होल्ड कर दिया गया है, जो अवैधानिक है। इसके बाद कोर्ट ने महाधिवक्ता से पूछा कि सरकार अपना कानून क्यों लागू नहीं कर रही है।
महाधिवक्ता का तर्क
महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने तर्क दिया कि उक्त कानून को याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई है, इसलिए इसे लागू नहीं किया जा रहा है। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि जब तक विधायिका द्वारा बनाए गए कानून की संवैधानिकता पर फैसला नहीं होता, तब तक उसे स्थगित नहीं किया जा सकता।