इंदौर। अब 12 साल से पुरानी स्कूल बसें सड़कों पर नहीं चल सकेंगी। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने दिल्ली पब्लिक स्कूल बस हादसे से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए यह आदेश जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम में स्कूल बसों के लिए अलग गाइडलाइन नहीं है, इसलिए कोर्ट ने खुद 22 बिंदुओं पर आधारित गाइडलाइन तैयार की है। इसे लागू करने की जिम्मेदारी कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को सौंपी गई है।
दिल्ली पब्लिक स्कूल हादसा
5 जनवरी 2018 को दिल्ली पब्लिक स्कूल की बस बच्चों को घर छोड़ने जा रही थी। बायपास पर बस अनियंत्रित होकर डिवाइडर पार कर दूसरी लेन में जा रही ट्रक से टकरा गई। हादसे में ड्राइवर की मौके पर मौत हो गई और चार बच्चों ने अपनी जान गंवा दी, जबकि कई अन्य घायल हुए।
हाई कोर्ट की गाइडलाइन
कोर्ट ने स्कूल बसों के लिए निम्नलिखित दिशा-निर्देश जारी किए हैं:
1.बस का रंग और जानकारी
– स्कूल बस पीले रंग में होगी और उस पर “स्कूल बस” या “ऑन स्कूल ड्यूटी” लिखा होगा।
– बस के दोनों ओर स्कूल के वाहन प्रभारी का नाम, पता और संपर्क नंबर प्रदर्शित किया जाएगा।
2.सुरक्षा उपकरण
– बस में फर्स्ट एड बॉक्स और अग्निशमन यंत्र अनिवार्य होंगे।
– प्रत्येक बस में प्रशिक्षित परिचारक होना चाहिए।
3.ड्राइवर की पात्रता
– स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस के साथ कम से कम 5 साल का अनुभव जरूरी।
– सिग्नल तोड़ने या तेज गति से गाड़ी चलाने वाले ड्राइवरों को स्कूल बस चलाने की अनुमति नहीं होगी।
– शराब पीकर गाड़ी चलाने के दोषी ड्राइवर स्कूल बस नहीं चला सकेंगे।
4.बस की संरचना और विशेषताएं
– खिड़कियों पर रंगीन फिल्म नहीं लगाई जाएगी।
– सीट के नीचे बैग रखने की जगह होगी।
– दाहिनी ओर एक आपातकालीन दरवाजा और उच्च गुणवत्ता का लॉकिंग सिस्टम होगा।
5. तकनीकी प्रावधान
– हर बस में स्पीड गवर्नर, GPS ट्रैकिंग सिस्टम और CCTV कैमरा अनिवार्य होगा।
– रात में नीले बल्ब का इस्तेमाल होगा।
6.आयु सीमा और अन्य नियम
– कोई भी बस 12 साल से पुरानी नहीं होगी।
– छात्रों को लाने-ले जाने वाले ऑटो में चालक सहित अधिकतम चार लोग बैठ सकते हैं।
निष्कर्ष
कोर्ट का यह आदेश स्कूल बसों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे बच्चों की यात्रा सुरक्षित और व्यवस्थित बनेगी।