भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में कथित अनियमितताओं को लेकर एमपी नर्स रजिस्ट्रेशन काउंसिल (एमपीएनआरसी) की रजिस्ट्रार अनीता चंद और अध्यक्ष डॉ. जितेन चंद्र शुक्ला को उनके पदों से हटाने का शुक्रवार को आदेश दिया है। अदालत ने आब्जर्व किया कि ‘वे केवल अपनी बल्कि अन्य पदाधिकारियों को भी बचाने की कोशिश करेंगे।’ 2022 में वकील विशाल बघेल द्वारा दायर एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि 2020-2021 में राज्य में स्थापित दर्जनों नर्सिंग कॉलेज ‘आवश्यक बुनियादी ढांचे के बिना धोखाधड़ी से चलाए जा रहे हैं।’
बघेल ने हस्तक्षेप आवेदन दायर कर आरोप लगाया था कि चंद उस निरीक्षण समिति की सदस्य थीं, जिसने झूठी रिपोर्ट पेश की थी, जिसके आधार पर भोपाल में आर.के.एस. नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई थी, हालांकि बाद में इसे रद्द कर दिया गया। याचिका में प्रार्थना की गई थी कि उन्हें उनके पद से हटा दिया जाए क्योंकि ‘चंद उन मटीरियस सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेंगी, जिनका इस्तेमाल उन अधिकारियों के खिलाफ किया जा सकता है, जिन्होंने अवैध काम किया है।’
आवेदन में शुक्ला को हटाने की भी मांग की गई थी, जो उस समय एमपीएनआरसी के डायरेक्टर पद पर थे, जब परिषद द्वारा कथित तौर पर कई अनियमितताएं की गई थीं। जस्टिस संजय द्विवेदी और अचल कुमार पालीवाल की पीठ ने कहा कि ‘मामले की नाजुकता और नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में पहले की गई विभिन्न अनियमितताओं को देखते हुए, हम ऐसे अधिकारियों को इस तरह के अहम पदों पर रहने की अनुमति नहीं दे सकते, जो मान्यता देने की पिछली प्रक्रिया में शामिल थे।’
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि आयुक्त (सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा) ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित की है। हालांकि, अदालत इससे संतुष्ट नहीं हुई। कोर्ट ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि वे चंद को रजिस्ट्रार के पद से और शुक्ला को एमपीएनआरसी के अध्यक्ष के पद से हटा दें और उनकी जगह ‘बेदाग सर्विस करियर वाले कुछ जिम्मेदार अधिकारियों को नियुक्त करें।’