जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य शासन से पूछा है कि किस नियम के तहत प्रदेश के पुलिस थानों के अंदर मंदिर बनाए गए हैं। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सरकार से यह निर्देश भी दिया कि प्रदेश के थानों के अंदर बने मंदिर या अन्य धार्मिक स्थलों की सूची पेश करें। साथ ही स्पष्ट करें कि मंदिर कब और किस आदेश के अंतर्गत बनाए गए हैं।
कोर्ट ने फिलहाल हस्तक्षेपकर्ताओं विश्व हिंदू महासंघ, विधि प्रकोष्ठ सहित अन्य को सुनने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई छह दिसंबर को निर्धारित की है।
चिकाकर्ता ने दिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला
सोमवार को जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी अधिवक्ता ओपी यादव की ओर से अधिवक्ता सतीश वर्मा व ग्रीष्म जैन ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी थी कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद जबलपुर सहित राज्य के विभिन्न थाना परिसरों में मंदिर निर्माण कराया जा रहा है।
जनहित याचिका में मांग की गई थी कि संबंधित थाना प्रभारियों के विरुद्ध सिविल सर्विस रूल्स के अंतर्गत कार्रवाई की जाए। हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की रोशनी में थाना परिसरों में मंदिर निर्माण पर रोक लगाई है।
हाई कोर्ट ने अवैध मटन मार्केट तीन दिन में हटाने दिए निर्देश
एक अन्य फैसले में जबलपुर हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने अवैध रूप से खोले गए मटन मार्केट को तीन दिन में हटाने के निर्देश दिए। निजी भूमि के अनाधिकृत उपयोग पर बाजार दर से मुआवजा भुगतान की भी व्यवस्था दे दी। साथ ही याचिकाकर्ता को मुकदमे का खर्च 25 हजार वसूलने स्वतंत्र कर दिया।
दोषी अधिकारी के विरुद्ध जांच उपरांत कार्रवाई के निर्देश भी जारी किए। याचिकाकर्ता गाडरवारा निवासी माखनलाल कोरी की ओर से ने पक्ष रखा गया। दलील दी गई कि नगर पालिका परिषद, गाडरवारा ने मनमानी करते हुए एक एकड़ निजी जमीन पर दुकानें बनाकर मटन मार्केट स्थापित करा दिया।
इससे पूर्व विधिवत भूमि अधिग्रहण व मुआवजा वितरण की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। सुनवाई के दौरान नगर पालिका परिषद की ओर से बताया गया कि शासन ने खुले में मांस-मटन विक्रय पर रोक लगा दी है। इसीलिए जमीन को कब्जे में लेकर मटन मार्केट बनाया गया।