इंदौर। इंदौर मेट्रो के बंगाली चौराहे से पलासिया तक के हिस्से को अंडर ग्राउंड करने का प्रस्ताव विचाराधीन है, जिसके लिए लगभग 1600 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। केंद्रीय आर्थिक कार्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि राज्य सरकार जब इस विषय पर प्रस्ताव भेजेगी, तो उस पर नियमानुसार विचार किया जाएगा।
मंत्रालय की टीम बुधवार को इंदौर का निरीक्षण करने आई। इसमें मंत्रालय के बहुपक्षीय संस्थान प्रभाग की अवर सचिव नीलिमा मिंज और सेक्शन ऑफिसर हिमांशु सिंह ने इंदौर मेट्रो डिपो और प्रायोरिटी कॉरिडोर के स्टेशन 5 और 3 का निरीक्षण किया।
इंदौर मेट्रो निर्माण की प्रगति से मंत्रालय के अधिकारी संतुष्ट दिखे। इस दौरान नेशनल डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) के सदस्यों ने भी मेट्रो के कास्टिंग यार्ड और सुपर प्रायोरिटी कॉरिडोर के सभी स्टेशनों का निरीक्षण किया। मेट्रो के पहले चरण के लिए 17 किलोमीटर के हिस्से में एनडीबी ने 1600 करोड़ रुपये का लोन देने का निर्णय लिया है, और अब तक लगभग 50% राशि का वितरण किया जा चुका है। एनडीबी के सदस्य यह आकलन कर रहे हैं कि दी गई राशि का उपयोग कैसे किया गया है।
केंद्रीय आर्थिक कार्य मंत्रालय की अवर सचिव नीलिमा मिंज ने कहा कि जैसे एनसीआर में ग्रेटर नोएडा में मेट्रो शुरू होने के बाद विकास हुआ, वैसे ही इंदौर के सुपर कॉरिडोर में भी मेट्रो के निर्माण के बाद विकास होगा। यहां कॉलेज, शैक्षणिक संस्थान, और व्यापारिक निर्माण होंगे, जिससे यह क्षेत्र भविष्य में एक प्रमुख आवासीय और व्यवसायिक हब बनेगा।
मंत्रालय के सेक्शन ऑफिसर हिमांशु सिंह ने बताया कि मेट्रो के लिए बजट की कोई कमी नहीं है और इंदौर में मेट्रो निर्माण कार्य संतोषजनक रूप से चल रहा है। यह उनकी टीम का मेट्रो का भौतिक और वित्तीय निरीक्षण था, और अब तक कार्य की स्थिति अच्छी है।
मेट्रो के रिंग बनने के बाद, अधिकारियों के अनुसार, इंदौर मेट्रो में यात्री संख्या में वृद्धि होगी, खासकर जब अंडर ग्राउंड हिस्सा पूरा हो जाएगा। इसके बाद मेट्रो को अधिक लाभ होने की संभावना है, और प्रारंभिक चरण में स्टेशन पर विज्ञापन और दुकानों के माध्यम से आय बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा, क्योंकि यात्री किराए से मेट्रो को ज्यादा लाभ नहीं होगा।