Saturday, April 19, 2025

40 साल बाद यूनियन कार्बाइड से निकला जहरीला कचरा

भोपाल। गैस त्रासदी के 40 साल बाद, बुधवार रात को यूनियन कार्बाइड कारखाने से लगभग 377 टन जहरीला कचरा 12 सीलबंद कंटेनर ट्रकों में भरकर भोपाल से 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में भेजा गया। कचरे को ले जाने वाले ट्रकों ने रात करीब नौ बजे यात्रा शुरू की और बिना रुके सफर किया। उनके लिए एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था।

100 मजदूरों ने किया 30 मिनट की पाली में काम
सात घंटे के अनुमानित सफर में करीब 100 मजदूरों ने कचरे को पैक करने और ट्रकों में लोड करने के लिए 30 मिनट की पाली में काम किया। ये मजदूर रविवार से इस काम में जुटे थे, और उनकी स्वास्थ्य जांच भी की गई। उन्हें हर 30 मिनट में आराम दिया गया। ट्रक अब पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में कचरा पहुंचाएंगे।

कचरे को जलाने की योजना
भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि अगर सब कुछ सही रहा, तो कचरे को तीन महीने के भीतर जलाया जाएगा, और अगर कोई रुकावट आई, तो इसे नौ महीने तक का समय लग सकता है। शुरुआत में कुछ अपशिष्ट को पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में जलाया जाएगा।

राख की जांच
कचरे को जलाने के बाद उसकी राख की जांच की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसमें कोई हानिकारक तत्व नहीं बचा है। यदि पुष्टि हो जाती है कि राख में विषाक्त तत्व नहीं हैं, तो उसे दो-परत की झिल्ली से ढककर दबा दिया जाएगा, ताकि वह मिट्टी और पानी से संपर्क में न आए।

विशेषज्ञों की निगरानी में निपटान
स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की निगरानी में एक विशेषज्ञ टीम इस प्रक्रिया का संचालन करेगी। कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि 2015 में पीथमपुर में 10 टन कचरे को जलाने के बाद, आसपास के गांवों की मिट्टी और जल स्रोत प्रदूषित हो गए थे।

विरोध का सामना
स्वतंत्र कुमार सिंह ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि 2015 के परीक्षण की रिपोर्ट और आपत्तियों की जांच के बाद ही कचरे के निपटान का निर्णय लिया गया है। रविवार को, लगभग 1.75 लाख की आबादी वाले पीथमपुर शहर में कचरे के निपटान के विरोध में बड़े पैमाने पर विरोध मार्च निकाला गया था।

भोपाल गैस त्रासदी
1984 में भोपाल में यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था, जिससे 5,479 लोग मारे गए और हजारों लोग अपंग हो गए। यह घटना दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक मानी जाती है।

हाईकोर्ट की फटकार
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में इस कारखाने को खाली न किए जाने पर नाराजगी जताई थी। अदालत ने कहा था कि प्रशासन की उदासीनता एक नई त्रासदी का कारण बन सकती है। 3 दिसंबर को अदालत ने कचरे को हटाने के लिए चार हफ्तों का समय तय किया था और चेतावनी दी थी कि आदेश का पालन न करने पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।

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