भोपाल। भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश में जिला अध्यक्षों की सूची जारी करने से पहले संगठन ने “डैमेज कंट्रोल” की तैयारी तेज़ कर दी है। प्रदेश संगठन को यह अंदाजा है कि सूची के जारी होने के बाद अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी करने वाले नेताओं में नाराजगी का माहौल उत्पन्न हो सकता है। इससे पार्टी के भीतर विरोध और विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने रणनीतिक कदम उठाए हैं और वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से पहले से सभी दावेदारों और मौजूदा अध्यक्षों को समझाने की कोशिश की है।
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बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने स्पष्ट किया है कि जब तक जिला अध्यक्षों की सूची जारी नहीं होती, संगठन के सभी सदस्य एकजुट रहें। खासतौर से उन दावेदारों को ध्यान में रखते हुए, जो किसी कारणवश चयनित नहीं हो सकते। संगठन के अंदर संदेश दिया गया है कि उन्हें मंत्री या सांसद के निवास स्थान पर जाने की बजाय पार्टी प्रदेश कार्यालय में आकर उत्सव मनाने की सलाह दी गई है। इस फैसले के पीछे यह विचारधारा है कि पार्टी के संगठन को सर्वोच्च माना जाए, न कि व्यक्तिगत नेताओं को।
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बीजेपी के इस कदम से यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि संगठन पार्टी का केंद्र है और किसी भी नेता को पार्टी से ऊपर नहीं माना जा सकता। यदि पार्टी को आगे बढ़ाना है, तो संगठन की ही प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके साथ ही पार्टी की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि किसी भी नेता का व्यक्तिगत महत्व संगठन के लिए नहीं है, बल्कि संगठन ही पार्टी का प्रमुख स्तंभ है। इसलिए, पार्टी द्वारा यह तैयारी की जा रही है कि किसी भी प्रकार का विरोध या नाराजगी होने से पहले नेताओं से संवाद स्थापित कर लिया जाए। इससे पार्टी में अनुशासन और एकता बनी रहेगी और किसी भी प्रकार के विरोध प्रदर्शन को रोका जा सकेगा।
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संगठन के इस कदम के बाद यह भी देखा जा रहा है कि प्रदेश कार्यालय में स्वागत और जश्न मनाने के निर्देश से पार्टी का संदेश साफ है कि संगठन के लिए काम करने वाले नेता ही पार्टी की असली ताकत हैं और उनका ध्यान संगठन की मजबूती पर होना चाहिए, न कि व्यक्तिगत हितों पर। इस प्रकार बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व ने पहले से तैयारी कर अपनी कार्यप्रणाली को स्पष्ट किया है, ताकि जिला अध्यक्षों की सूची के बाद उत्पन्न होने वाली संभावित नाराजगी और विरोध से पार्टी को बचाया जा सके।
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