इंदौर। इंदौर में एक पूर्व थाना प्रभारी को रिश्वत लेने का मामला भारी पड़ गया। एक फरियादी की शिकायत पर पुलिस कमिश्नर ने विभागीय जांच कराई, जिसमें थाना प्रभारी को दोषी पाया गया। इसके बाद थाना प्रभारी रविंद्र गुर्जर का डिमोशन कर उन्हें सब-इंस्पेक्टर बना दिया गया।
क्या है मामला?
यह मामला 2023 का है, जब एक फरियादी ने अपने परिचितों को थाने से छुड़ाने के लिए थाना प्रभारी, सब-इंस्पेक्टर और कांस्टेबलों से संपर्क किया। फरियादी से थाना प्रभारी के नाम पर हजारों रुपये रिश्वत मांगी गई। परेशान होकर शिकायतकर्ता ने रिश्वत देकर अपने परिजनों को छुड़वाया, लेकिन अगले ही दिन इसकी शिकायत तत्कालीन पुलिस कमिश्नर मकरंद देवस्कर और पूर्व डीसीपी अभिषेक आनंद से कर दी।
जांच कमेटी गठित
मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच कमेटी बनाई। विस्तृत जांच के दौरान थाना प्रभारी सहित अन्य पुलिसकर्मियों को रिश्वत लेते हुए दोषी पाया गया।
दंडात्मक कार्रवाई
जांच के आधार पर मौजूदा पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की।
– थाना प्रभारी रविंद्र गुर्जर टीआई से डिमोट कर सब-इंस्पेक्टर बना दिया गया।
– सब-इंस्पेक्टर संजय धुर्वे उनके प्रमोशन पर रोक लगा दी गई।
– कांस्टेबल अन्य दोषी कांस्टेबलों को भी सख्त सजा दी गई।
कड़ा रुख
यह पहली बार हुआ है कि इंदौर पुलिस कमिश्नर ने रिश्वत लेने के मामले में इतने कड़े कदम उठाए। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और पुलिस व्यवस्था में सुधार के लिए एक मिसाल के रूप में देखी जा रही है।