इंदौर। इंदौर में भिक्षा देने के मामले में पहली बार कानूनी कार्रवाई की गई है। भिक्षा देने वाले युवक पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। युवक ने शहर में एक मंदिर के पास बैठी वृद्ध महिला को 10 रुपये दिए और अपने वाहन से चला गया, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग के भिक्षावृत्ति दल ने उसका वीडियो बना लिया और वाहन नंबर के आधार पर युवक के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई।
इंदौर में भिक्षा देने और मांगने दोनों पर प्रतिबंध
इसके अतिरिक्त, पूर्व में दो बार चेतावनी के बाद भी भिक्षा मांगती पकड़ी गई महिला के पुत्र के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज कराई गई है। पुत्र ने शपथपत्र दिया था कि वह मां को भिक्षा नहीं मांगने देगा। इंदौर में भिक्षा देने और मांगने दोनों पर प्रतिबंध है।
भिक्षावृत्ति उन्मूलन दल ने बनाया वीडियो
गत दो जनवरी को कलेक्टर आशीष सिंह ने भिक्षा मांगने और देने वाले दोनों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने का निर्देश जारी किया था। भिक्षावृत्ति उन्मूलन दल के अधिकारी फूल सिंह ने बताया कि 21 जनवरी की सुबह 10.15 बजे खंडवा नाका स्थित हनुमान मंदिर के बाहर भिक्षा मांग रही महिला को वाहन संख्या एमपी-09 एसजी 4361 के चालक ने 10 रुपये भिक्षा दी और चला गया। टीम ने उसका वीडियो बना लिया।
भंवरकुआं थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई
गुरुवार को वाहन नंबर के आधार पर उसके खिलाफ भंवरकुआं थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई। भंवरकुआं चौराहा पर दूसरी कार्रवाई में टीम ने एक भिक्षुक महिला को तीसरी बार भिक्षा मांगते पकड़ा।
बेटे ने शपथपत्र देकर बेटे ने मां को छुड़ा लिया था
टीम ने पूर्व में दो बार जब उसे पकड़ा था तो उसके बेटे ने शपथपत्र देकर इस शर्त के साथ छुड़ा लिया था कि उसकी मां अब भिक्षा नहीं मांगेंगी। ऐसे में, भारतीय नागरिक सुरक्षा अधिनियम 2023 की धारा 163 के तहत किए गए प्रतिबंधित आदेश का उल्लंघन करने पर शपथ पत्र प्रस्तुत करने वाले पुत्र के खिलाफ भी बीएनएस की धारा 223 के तहत प्रकरण दर्ज कराया गया है।
छह माह तक की सजा का प्रविधान
महिला व बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी आरएन बुधोलिया ने बताया कि बीएनएस की धारा 223 के तहत सरकारी आदेशों का उल्लंघन करने पर छह महीने तक की जेल और आर्थिक दंड या फिर दोनों सजा का प्रविधान है।