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Tuesday, January 28, 2025

राहुल गांधी की बात पर भड़के सिंधिया, दी इतिहास पढ़ने की नसीहत

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ग्वालियर। कभी पक्के दोस्त रहे राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया अब एक दूसरे पर तीखा प्रहार करने का कोई मौका चूकते नहीं हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को मध्य प्रदेश के महू में राजघरानों को लेकर एक ऐसी बात कही जिस पर भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें जवाब दिया है। ग्वालियर राज परिवार से आने वाले केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने राहुल गांधी को इतिहास पढ़ने की नसीहत देते हुए बताया कि किस तरह राजघरानों ने भारत में समानता और समावेशी विकास के लिए काम किया।

सिंधिया ने राहुल गांधी का एक वीडियो एक्स पर शेयर करते हुए पलटवार किया। उन्होंने कहा, संविधान को अपनी पॉकेट डायरी समझने वाले नेता राहुल गांधी द्वारा आजादी से पूर्व भारत के राजपरिवारों की भूमिका को लेकर दिया गया बयान उनकी संकीर्ण सोच और समझ को उजागर करता है। सत्ता और कुर्सी की भूख में वह भूल गए हैं की इन राजपरिवारों ने वर्षों पहले भारत में समानता और समावेशी विकास की नींव रखी थी।

सिंधिया ने कहा कि ये भूल गए कि बड़ौदा महाराज सयाजीराव गायकवाड़ ने हमारे संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर को शिक्षा प्राप्त करने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई थी। छत्रपति साहूजी महाराज ने 1902 में पहली बार देश के बहुजनों को अपनी शासन व्यवस्था में 50 प्रतिशत आरक्षण देकर सामाजिक न्याय की बुनियाद रखी थी। पिछड़े वर्गों को शैक्षणिक रूप से सशक्त बनाने के लिए ग्वालियर के माधव महाराज प्रथम ने पूरे ग्वालियर-चंबल में शिक्षा और रोजगार के केंद्र खुलवाए थे।

कभी कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने देश की सबसे पुरानी पार्टी को तनाशाही का जन्म देने वाली बताते हुए राहुल गांधी को इतिहास पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ‘वह तानाशाही विचारधारा को जन्म देने वाली कांग्रेस थी जिन्होंने दलितों, वंचितों और पिछड़े वर्ग के अधिकारों पर कुठाराघात करने का काम किया। राहुल गांधी, पहले इतिहास पढ़ें, फिर बयानबाजी करें

राहुल गांधी ने क्या कहा था
सिंधिया ने राहुल गांधी के भाषण का जो अंश शेयर किया है उसमें कांग्रेस नेता हाथ में संविधान की प्रति लेकर कहते हैं आजादी से पहले इस देश में गरीबों के कोई अधिकार नहीं थे, दलितों के कोई अधिकार नहीं थे, पिछड़ों के कोई अधिकार नहीं थे। आदिवासियों के कोई अधिकार नहीं थे। अधिकार सिर्फ राजा महाराजा के थे। वह बदलाव आजादी के दिन आया था। आपको जमीन दी गई, जमीन का हक दिया गया, अधिकार दिए गए।

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