ग्वालियर। एक करोड़ रुपये की फिरौती के लिए मां की गोद से छह साल के शिवाय को छीनकर ले जाने वाले अपहरण के मुख्य आरोपित भोला गुर्जर को पुलिस ने तिघरा रोड से चेकिंग के दौरान गिरफ्तार कर लिया। बुधवार दोपहर एसआईटी ने अपहरण कांड में पुलिस ने रेकी करने वाले दो अन्य आरोपितों मोनू गुर्जर और भूरा गुर्जर को भी गिरफ्तार कर उनका जुलूस निकाला और घटनास्थल का निरीक्षण कराते हुए वहां तक ले गए, जहां से बालक का अपहरण किया गया था। दोनों चाचा-भतीजे बताए गए हैं। मुरार पुलिस ने घटनास्थल पर क्राइम सीन रीक्रिएट भी किया।
राहुल और धर्मेंद्र अभी फरार
बता दें इस मामले में दो आरोपित राहुल कंसाना और धर्मेंद्र गुर्जर अभी भी फरार हैं। पुलिस का दावा है कि मुख्य आरोपित को पकड़ने के दौरान आरोपित भोला गुर्जर को पैर में गोली भी लगी।
इसके बाद उसे जयारोग्य अस्पताल के ट्रामा सेंटर में लाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे रात में एक हजार बिस्तर के अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया।
एसपी धर्मवीर सिंह ने इस मामले में स्पष्ट करते हुए कहा है कि आरोपित भोला गुर्जर ने ही बच्चे को मां की आंखों में मिर्ची डालकर उनसे छीनकर बाइक पर बैठाया था।
भोला पर पहले भी हत्या का मामला दर्ज है। पुलिस टीम ने स्वयं को बचाते हुए जवाबी फायरिंग की, जिसमें आरोपित के पैर में गोली लगी और वह घायल हो गया।
अपहरण के बाद रेकी करने आया था आरोपित मोनू, पुलिस के बीच खड़े होकर भांपता रहा माहौल
बताया जाता है कि अपहरण होने के बाद आरोपित भूरा गुर्जर खुद पीड़ित परिवार के घर पर रेकी करने आया।
पुलिस अधिकारियों के बीच खड़ा रहा और माहौल भांपकर पाच घंटे तक शिवाय को अपने घर में ही छिपाकर भी रखा।
दोनों आरोपितों मोनू और भूरा के पीड़ित परिवार के साथ पारिवारिक संबंध थे। इन्होंने पहले अपहरण की योजना बनाई।
आरोपितों का मानना था कि पीड़ित परिवार इन्हीं से मदद मांगेगा तो यह बच्चे को छुड़वाने के एवज में एक करोड़ की फिरौती लेकर मध्यस्थता कर लेंगे।
लेकिन 13 फरवरी को अपहरण होने के बाद जब आरोपित भूरा गुर्जर पीड़ित परिवार के घर गया और वहां जाकर स्थिति देखी तो अपने मंसूबे पूरे होते नहीं दिखे।
सभी के पकड़े जाने के डर से आरोपितों ने बंधक बनाकर रखे बच्चे को रात में ही छोड़ दिया।
ट्रांसपोर्ट के काम में घाटा हुआ तो किया अपहरण
आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि उन्हें ट्रांसपोर्ट के काम में लंबा चौड़ा घाटा पड़ गया था। इससे बाहर निकलने के लिए उन्हें धन की जरूरत थी, तब भूरा और मोनू ने अन्य आरोपितों के साथ मिलकर इस अपहरण की कहानी रची थी। इसमें पहले केकी करने फिर अपहरण के बाद मध्यस्थता कर बच्चे को रिहा करने तक की जिम्मेदारियां पहले से ही तय थीं।