भोपाल। मेंडोरी के जंगलों में मिले 11 करोड़ रुपये कैश और 51 किलो सोने के असली मालिक का अब तक पता नहीं चल पाया है। आरटीओ के पूर्व कर्मचारी सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों से ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और आयकर विभाग की टीम लगातार पूछताछ कर रही है, लेकिन सौरभ शर्मा ने यह स्वीकार नहीं किया है कि यह सोना और कैश उसका है। अब, सौरभ के साथी चेतन को यह स्वीकार करना होगा कि यह सब उसका है, या फिर उसे यह साबित करना होगा कि यह सौरभ शर्मा का है।
आयकर विभाग के लिए मुश्किलें बढ़ीं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सौरभ शर्मा ने अब तक यह स्वीकार नहीं किया है कि मेंडोरी के जंगलों में मिली इनोवा कार में पाई गई नकदी और सोना उसकी संपत्ति है, जो आयकर विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। क्योंकि विभाग की जिम्मेदारी है कि वह इसके असली मालिक का पता लगाए। यदि सौरभ इसे अपनी संपत्ति नहीं मानता, तो अब उसके साथी चेतन को इसे स्वीकार करना होगा। अगर चेतन इसे स्वीकार नहीं करता, तो उसे यह साबित करना होगा कि यह सौरभ का ही है। यदि चेतन ने भी इसे नकार दिया, तो आयकर विभाग को यह सोना और नकदी सरकारी खजाने में जमा करानी पड़ेगी।
सरकारी संपत्ति घोषित होने की संभावना
आयकर विभाग की जिम्मेदारी है कि वह इस संपत्ति के असली मालिक का पता लगाए। यदि जांच में असली मालिक का पता नहीं चलता है, तो इस सोने और नकदी को सरकारी संपत्ति घोषित किया जा सकता है। जांच अधिकारियों को मामले के सभी पहलुओं पर ध्यान देना होगा ताकि सत्य सामने आ सके। अगर असली मालिक का पता नहीं चलता, तो विभाग को इस संपत्ति को सरकारी खजाने में जमा करना होगा।
असली मालिक मिलने पर क्या होगा?
अगर सौरभ या चेतन में से कोई एक यह स्वीकार कर लेता है कि सोना और कैश उसका है, तो इसके बाद उसे अपनी आय का स्रोत बताना होगा। इसके बाद, ईडी और आयकर विभाग द्वारा पेनाल्टी और विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया जा सकता है।
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