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Friday, March 7, 2025

सर्वार्थसिद्धि योग में मार्च के इस दिन से चैत्र नवरात्र की शुरुआत

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उज्जैन। 30 मार्च को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर देवी आराधना का पर्व चैत्र नवरात्र का आरंभ होगा। इस बार तिथि मतांतर के कारण नवरात्र आठ दिन के होंगे। खास बात यह है कि इस महापर्व के दौरान चार दिन रवियोग और तीन दिन सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग रहेगा, जो साधना और आराधना के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन योगों में की गई साधना, साधक को शुभ और मनोवांछित फल प्रदान करती है।

ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर 30 मार्च, रविवार के दिन वासंती नवरात्र की शुरुआत होगी।

सर्वार्थसिद्धि योग का शुभ प्रभाव

सर्वार्थसिद्धि योग के साथ इस दिन की शुभता और भी बढ़ गई है, क्योंकि यह योग सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाला माना जाता है। रेवती नक्षत्र, बव करण और मनी राशि के बाद मेष राशि में चंद्रमा रहेगा, जिसके साथ घट स्थापना का शुभ मुहूर्त रहेगा। रेवती नक्षत्र पंचक का नक्षत्र है, और इस दिन देवी की साधना पांच गुना अधिक शुभफल देने वाली होगी।

नवरात्र की विशेषता

रेवती नक्षत्र में शुरू होने वाले इस नवरात्र को विशेष रूप से कल्याणकारी माना जाता है। धर्म ग्रंथों, विशेषकर मुहूर्त चिंतामणि में इसे महत्व दिया गया है, जिससे इस दिन की गई साधना विशेष फल देने वाली होगी।

नवरात्र आठ दिन के होंगे

इस बार नवरात्र आठ दिन के रहेंगे। विभिन्न पंचांगों में तिथि को लेकर अलग-अलग गणनाएँ हैं, जिनकी वजह से नवरात्र के दिनों की संख्या पर फर्क आया है। कुछ पंचांगों में तृतीया और द्वितीया की तिथियाँ दी गई हैं, जबकि कुछ में तृतीया और चतुर्थी का संयोजन है।

वर्षभर के चार विशेष नवरात्र

पं. डब्बावाला ने बताया कि देवी की साधना के लिए सालभर में चार विशेष नवरात्र होते हैं, जिनमें दो प्राकट्य नवरात्र (चैत्र और शारदीय) और दो गुप्त नवरात्र (माघ और आषाढ़) माने जाते हैं। लोकमान्यता के अनुसार चैत्र नवरात्र को बड़ी नवरात्रि माना जाता है, क्योंकि यह सृष्टि के आरंभ का दिन है। उज्जैन में यह नवरात्र विशेष रूप से महत्व रखते हैं, क्योंकि इसी दिन नगर दिवस भी मनाया जाता है।

हरसिद्धि और गढ़कालिका मंदिरों में विशेष आयोजन

देश के 52 शक्तिपीठों में से एक हरसिद्धि मंदिर में चैत्र नवरात्र के दौरान देवी का नया श्रृंगार होगा। गोधूलि वेला में दीपमालिका प्रज्वलित की जाएगी, जबकि गढ़कालिका माता मंदिर में भी दीपमालिका प्रज्वलित होगी और भक्त कुमकुम पूजा करेंगे। शहर के अन्य देवी मंदिरों में भी भक्तों का तांता लगेगा।

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