इंदौर। गुरु और शुक्र ग्रह के उदय के कारण इस बार होलाष्टक के बाद भी शादियों का सिलसिला जारी है। 8 और 9 मार्च को कई जगह बारातों का दौर लगातार चलता रहा। हालांकि, विवाह को छोड़कर बाकी सभी शुभ कार्यों पर रोक जारी रही है।
इस माह का अंतिम विवाह 12 मार्च को होगा, जिसके बाद एक महीने तक शादियां नहीं हो सकेंगी। रंगों के त्योहार से पहले, 7 मार्च से होलाष्टक की शुरुआत हुई थी। गुरु और शुक्र ग्रह के अस्त न होने के कारण माह का अंतिम विवाह 12 मार्च तक होगा।
गुरु और शुक्र के अस्त न होने से शादियां जारी
ज्योतिषाचार्य पं. रामगोविंद शास्त्री के अनुसार, होलाष्टक के दौरान सामान्यत: शादियों पर रोक लग जाती है, लेकिन इस बार गुरु और शुक्र ग्रह के अस्त न होने की वजह से शादियां होती रहेंगी। इसके अलावा, सूर्य के कुंभ राशि में होने से भी विवाह में कोई रुकावट नहीं है। इस साल 7 से 12 मार्च तक शादियां होंगी। होलाष्टक समाप्त होने के बाद मलमास की शुरुआत होगी, जिसमें कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
धार्मिक मान्यता और रोक
मध्य प्रदेश के सागर में संत पुजारी संघ के अध्यक्ष पं. शिवप्रसाद तिवारी के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से पूर्णिमा तक होलाष्टक की मान्यता होती है। धार्मिक दृष्टिकोण से इस अवधि में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। हर साल होलाष्टक के दौरान शादी-विवाह पर रोक होती है, लेकिन इस बार केवल गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, नामकरण, भूमि पूजन और अन्य शुभ कार्यों पर रोक है। मलमास समाप्त होने के बाद ही शुभ कार्यों की शुरुआत होगी।
पुष्टिमार्गीय वैष्णव मंदिरों में होली उत्सव
इस बीच, रंगभरी एकादशी पर सोमवार को श्रीकृष्ण मंदिरों में पांच दिवसीय होली उत्सव की शुरुआत हुई। हालांकि पुष्टिमार्गीय वैष्णव मंदिरों में एक दिन पहले ही होली उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। ठाकुरजी ने फूल बंगले में चांदी की पिचकारी से होली खेली। वैष्णवजन भी ठाकुरजी के रंग में रंगी हुई नजर आए और ग्वाल, बाल के रूप में जमकर होली खेली। यह रंगोत्सव 14 मार्च को डोल यात्रा के दिन तक चलेगा।
रंगभरी एकादशी से लेकर धुलेंडी पर डोल यात्रा तक छह दिवसीय होली उत्सव मनाया जाता है। इन छह दिनों में ठाकुरजी फूल बंगले में चांदी की पिचकारी से टेसू के फूलों से बने रंग से होली खेलते हैं। इस साल 10 मार्च को रंगभरी एकादशी के कारण, 14 मार्च को डोल यात्रा तक उत्सव के पांच दिन होंगे।
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