इंदौर। सनातन धर्म में शनि देव की पूजा का अत्यधिक महत्व है। उनके नाम से ही लोग भयभीत हो जाते हैं, क्योंकि वे न्याय के देवता माने जाते हैं। शनि देव की पूजा विशेष रूप से शनिवार को की जाती है, साथ ही इस दिन महादेव और रामभक्त हनुमान की भी पूजा होती है। शनि अमावस्या के दिन भी पूजा और व्रत करने का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान, पितरों का तर्पण और पिंडदान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या तिथि 28 मार्च को रात 7:55 बजे से शुरू होकर 29 मार्च को शाम 4:27 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, 29 मार्च को चैत्र अमावस्या मनाई जाएगी, जो शनिवार को पड़ने के कारण शनि अमावस्या कहलाएगी। इसे शनिचरी अमावस्या भी कहा जाता है।
इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जैसे ब्रह्मा और इंद्र योग का संगम और दुर्लभ शिवास योग। इन शुभ संयोगों का प्रभाव जातक के जीवन को सुखमय बनाता है। शनि अमावस्या पर पूजा करने से सभी समस्याएं दूर होती हैं और जातक की हर मनोकामना पूर्ण होती है। इस दिन किए गए पाप भी धुल जाते हैं।
शनि अमावस्या का विशेष महत्व उन व्यक्तियों के लिए है जिनकी कुंडली में शनि ग्रह से जुड़ी समस्याएं होती हैं। इस दिन शनि से संबंधित उपायों के लिए व्रत रखा जाता है, पूजा अर्चना की जाती है और दान किया जाता है। काले तिल, सरसों का तेल, लोहे की वस्तुएं, और जूते आदि का दान करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।
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