ग्वालियर | चंबल की मिलीजुली हार जीत के मीठे कड़वे गवा अनुभवों से गुजरती भाजपा को बुंदेलखंड में उमा भारती और मालवा में कैलाश विजयवर्गीय के प्रयासों से अच्छी उड़ान मिली। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहाय ने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ ही प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति ने कांग्रेस से मिल रही चुनौतियों और भाजपा के भीतर कार्यकर्ताओं के अनमने भाव को देखते हुए ही इन दोंनों नेताओं को मोर्चे पर लगाया था। दोनों ही दिग्गजों ने अपनी पार्टी को निराश नहीं किया और कार्यकर्ताओं की टोली में जोश भरने से लेकर कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं से सामंजस्य बिठाने तक के सारे जतन किए।
भाजपा को बुंदेलखंड में उमा भारती और मालवा में कैलाश विजयवर्गीय ने बिखेरा जलवा
बड़ा मलहरा सीट पर उमा भारती के कहने पर कांग्रेस से आए प्रद्युम्न सिंह लोधी उनके पुराने अनुयायी रहे हैं। इसलिए उमाभारती की साख दांव पर थी। उधर कांग्रेस के टीकमगढ़ और छतरपुर के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री ब्रजेंद्र सिंह राठौर तथा छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी ने जतारा की साध्वी रामसिया भारती को टिकट दिलाकर सीधे उमाभारती को चुनौती पेश की थी। ये नेता चाहते थे कि लोधी समाज की एक साध्वी को उमाभारती के विकल्प के रूप में तैयार किया जाए।
फिर रामसिया भारती बड़ा मलहरा इलाके के घुवारा कस्बे में पिठले कुछ सालों से रह रही हैं। जबकि प्रद्युम्न लोधी पड़ोस के जिले दमोह के हिंडोरिया गांव से आते हैं और बसपा के अखंड प्रताप सिंह यादव भी टीकमगढ़ के ही हैं। लोधी वोटरों के बंटवारे के साथ ब्राह्मण और यादव मतदाताओं में दखल रखने वाली उमा भारती को रामसिया भारती से ज्यादा खतरा अखंडयादव और आलोक चतुर्वेदी से था, उनकी सक्रियता से भाजपा का परंपरागत वोटबैंक खतरे में पड़ रहा था। फिर जैन समाज भी यहां भाजपा की तरफ आंखे तरेर रहा था।
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