भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने विधायकों को लेकर कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई। उपचुनाव में सभी को टिकट दिए गए और मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त हो गया लेकिन अब मामला थोड़ा अटक गया है। संगठन ज्योतिरादित्य सिंधिया का उपयोग तो करना चाहता है परंतु उनके साथ मौजूद समर्थकों की फौज को स्पेशल ट्रीटमेंट देने के मूड में नहीं है।
मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार की उम्मीद सभी लोग कर रहे थे परंतु शिवराज सिंह ने उसे टाल दिया। कहने की जरूरत नहीं कि इसके पीछे संगठन की NOC की। ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहते हैं कि उनके समर्थक विधायक मनोज चौधरी, रक्षा संतराम और पंकज चतुर्वेदी को संगठन में सम्मान जनक पद दिया जाए परंतु भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा उपचुनाव के दौरान महामंत्रियों की नियुक्ति कर चुके हैं। संगठन में सम्मान जनक के नाम पर केवल उपाध्यक्ष पद बचा है। जिसके लिए भाजपा के पुराने दावेदारों की संख्या पहले से सिरदर्द बनी हुई है। सिंधिया समर्थकों को एडजस्ट करना मुश्किल है। नतीजा प्रदेश कार्यकारिणी में नियुक्तियां अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई है।
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया में काफी पोटेंशियल है। महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया का उपयोग करना है। इसलिए सबसे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को व्यवस्थित किया जाए। नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में मध्य प्रदेश से फिलहाल छह मंत्री हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री पद देना है या फिर संगठन में कोई प्रमुख पद, इस पर फैसला नहीं हो पा रहा है। माना जा रहा है कि सबसे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया का फैसला होगा उसके बाद उनके समर्थकों के बारे में विचार किया जाएगा।