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Friday, November 22, 2024

शहडोल के अस्पताल में नहीं थम रहा बच्चों की मौत का सिलसिला, अब तक 12 मासूम गवां चुके हैं जान

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शहडोल। मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय में आज 4 नवजातों की मौत हो गई। बीते 48 घंटे के भीतर ही 4 मासूमों की सांस थम गई। बता दें ​कि अस्पताल में उपचार के दौरान 6 दिन के भीतर 12 मासूमों की मौत हो गई।

 

​लगातार हो रही मौत पर अस्पताल में उपचार को लेकर कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। मौत के आंकड़े में एक प्री मीच्योर बच्चा भी शामिल है। 6 माह में ही 6 सौ ग्राम बच्चे की डिलेवरी हो गई थी, जिसकी मौत हो गई है। वहीं डिंडोरी की 11 दिन की सरोज सरिया की निमोनिया से मौत हुई है। 

 
 
पाली के 7 माह के राजकुमार कोल की निमोनिया और ब्रेन फीवर से मौत हो गई है। पोंगरी गांव की 1 माह 6 दिन की रितिका जायसवाल की भी मौत हुई है। एसएनसीयू में 22 और पीआईसीयू में 09 बच्चे अभी भी भर्ती हैं, जिन्हें उचित उपचार की जरुरत है।
जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल के पीआईसीयू वार्ड में भर्ती 4 नवजातों की मौत बीते 48 घंटे के भीतर हो गई। पाली से आए 7 माह के नवजात की निमोनिया की शिकायत पर भर्ती कराया गया था। गुरुवार की सुबह 11 बजे गंभीर हालत में जिला अस्पताल लाया गया था। इसके अलावा डिंडोरी से आए 1 माह 10 दिन के नवजात की भी मौत हो गई। मौत के पीछे का कारण कम वजन का होना बताया गया। 
 
 
इसके आलवा एक और बच्चे की मौत आज सुबह हो गई। बता दें कि इस तरह जिला अस्पताल में महज 6 दिन के भीतर ही 12 नवजातों की मौत हो गई है। जिला अस्पताल में मौत के मामले में दोषियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिए हैं। बता दें कि लगातार मौत को लेकर मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक ली थी। जिसमें मामले में तुरंत जांच के आदेश दिए। 
 
 
वहीं भोपाल की एक विशेष टीम शहडोल पहुंचकर मामले की जांच कर रही है। इस बीच 4 और बच्चों की मौत से अस्पताल में हड़कंप मच गया है। बच्चों की मौत पर सवाल शहडोल के जिला अस्पताल में एक के बाद एक हो रहे मासूम बच्चों के मौत के मामले में कई सवाल खड़े हो रहे है।
आखिर लगातार मौत के बाद भी जिम्मेदार लोग क्या कर रहे हैं, क्या जिला अस्पताल में कोई व्यवस्थाएं नहीं। हालत गंभीर थी तो रेफर क्यों नहीं किया गया। क्या इलाके में कोई बीमारी फैल रही है। हर साल सरकार प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए करोड़ों रुपए का बजट पास करती है। लेकिन इस तरह लगातार मौत के मामले सामने आना बेहद ही शर्मनाक है।
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