भोपाल | महापौर पद के आरक्षण के साथ पूरे प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर राजनैतिक सरगर्मी तेज हो चुकी है। जबलपुर की सीट अनारक्षित घोषित होने के बाद मैदान सभी के लिए खुल गया है, लेकिन पिछले तीन महापौर चुनावों में महिला और ओबीसी पुरुष सीटें आरक्षित थीं, इसलिए इस चुनाव में सामान्य वर्ग के प्रत्याशियों को मैदान में उतारने के लिए सभी पार्टियों पर दबाव भी रहेगा। इन तमाम चुनावी गणितों के बीच मेयर पद के लिए कई दावेदार सक्रिय हो गए हैं।
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हर बार की तरह इस बार भी कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होना तय है, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही युवाओं चेहरों पर दाँव खेल सकती हैं। हालाँकि पूर्व में पदों पर रह चुके कई बड़े नेता भी जोर-शोर से दावा पेश कर रहे हैं। सालों से बिना पद के राजनीति में सक्रिय रहने वाले युवा नेता भी यह मौका नहीं छोड़ना चाहते और पूरी ताकत से अपना दावा पेश कर रहे हैं।
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पिछले कई चुनावों से कांग्रेस पर भारी रहने वाली भाजपा पर इस बार ज्यादा दबाव रहेगा, क्योंकि वर्तमान में शहर में कांग्रेस के तीन और भाजपा का एक ही विधायक है। हालाँकि 2018 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद लोकसभा और हाल ही में हुए उपचुनाव की जीत के साथ सत्ता में कमबैक करने के बाद भाजपा खेमा आश्वस्त नजर आ रहा है।
कांग्रेस से जगतबहादुर सिंह अन्नू, गौरव भनोत, संजय राठौर, सौरभ शर्मा, राजेश सोनकर, केवलकृष्ण आहूजा, शशांक दुबे, रमेश चौधरी के नाम की चर्चा जोरों पर है।
भाजपा से पूर्व महापौर प्रभात साहू, डॉ. जितेन्द्र जामदार, आशीष दुबे, कमलेश अग्रवाल, भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे, संदीप जैन, अखिलेश जैन दावेदारी कर रहे हैं।
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