भोपालः मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. एक के बाद एक कई बड़े नेता कांग्रेस का दामन छोड़ते चले जा रहे हैं. हालत ये हो गई कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के दो सबसे बड़े नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह अपने करीबियों का भरोसा कायम नहीं रख पा रहे हैं. सौसर से पूर्व कांग्रेस विधायक अजय चौरे और राजगढ़ से पूर्व विधायक प्रताप सिंह मंडलोई का कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होना इस बात का प्रमाण भी है|
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिग्विजय के गढ़ में सेंध लगा दी है. कुछ समय पहले तक राजा के प्रताप के नाम से मशहूर कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रताप मंडलोई ने भोपाल में शुक्रवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान व ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने भाजपा की सदस्यता ली. इस दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा व हितानंद शर्मा भी मौजूद रहे. इसी कार्यक्रम में अजय चौरे ने भी भाजपा का दामन थाम लिया|
प्रताप सिंह मंडलोई ने 2018 में विधानसभा का चुनाव निर्दलीय लड़ा था, क्योंकि कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया था. वह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सबसे भरोसेमंद व खास विधायकों में शामिल थे. साल 1998 में प्रताप सिंह मंडलोई विधायक बने थे. प्रताप मंडलोई के दिग्विजय सिंह के करीबी रिश्ते का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि विधायक बनने के बाद उन्होंने अपनी कार पर ’राजा का प्रताप’ लिखवा लिया था|
दूसरी ओर छिंदवाड़ा जिले की सौसर विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक रह चुके अजय चौरे ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है. अजय पूर्व सीएम कमलनाथ के करीबी थे. पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट नहीं दिया, तब से ही वह नाराज चल रहे थे. सौंसर क्षेत्र में चौरे परिवार का बड़ा राजनीतिक रसूख है, उनके भाई विजय चौरे वर्तमान में कांग्रेस से विधायक हैं|
उनकी मां भी कांग्रेस से विधायक रह चुकी हैं. इन दो बड़े नेताओं का कांग्रेस छोड़ना राज्य में पार्टी के लिए बहुत बड़े नुकसान के रूप में देखा जा रहा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में चर्चा चल पड़ी है कि उन्होंने एक साथ दिग्विजय और कमलनाथ दोनों को चोट देते हुए उनके करीबियों को भाजपा की सदस्यता दिलवा दी है |
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