तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का आज 23वां दिन है। किसान कानून वापसी पर अड़े हैं। इस बीच सरकार अलग-अलग तरीकों से किसानों को समझाने-मनाने में जुटी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश के किसानों की कॉन्फ्रेंस में जुड़ेंगे। वे कृषि कानूनों के फायदे बताएंगे।
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अपडेट्स
- दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने कहा है कि प्रधानमंत्री को किसानों से बात करनी चाहिए। कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी लड़ाई नहीं छोड़ेंगे।
- किसानों का कहना है कि वे कृषि कानूनों के खिलाफ लंबी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं। ठंड को देखते हुए ज्यादा टेंट लगा रहे हैं।
- उद्योग संगठन FICCI ने कहा है कि किसान आंदोलन के चलते नॉर्दर्न रीजन की इकोनॉमी को हर दिन 3000 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है।
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मोदी की अपील- कृषि मंत्री की चिट्ठी जरूर पढ़ें
2 दिन पहले ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ग्वालियर में किसान सम्मेलन को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि नए कानून किसानों के फायदे के लिए हैं। तोमर ने गुरुवार को किसानों के नाम चिट्ठी भी लिखी, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत दूसरी चिंताओं पर भरोसा दिया। मोदी ने किसानों के साथ-साथ पूरे देश से तोमर की चिट्ठी को पढ़ने की अपील करते हुए इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार कानून होल्ड करने का रास्ता सोचे
किसानों को सड़कों से हटाने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि किसानों को विरोध करने का हक है, लेकिन किसी की संपत्ति या किसी की जान को कोई खतरा नहीं होना चाहिए। साथ ही सलाह दी कि विरोध के तरीके में बदलाव करें, किसी शहर को जाम नहीं किया जा सकता। अदालत ने सरकार से भी पूछा- इस मामले की सुनवाई पूरी होने तक क्या आप कृषि कानूनों को रोक सकते हैं?
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अभी नए कृषि कानून लागू करने के नियम ही नहीं बने, जैसे CAA के नहीं बने हैं
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी ने कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कमेंट से जुड़े सवालों के जवाब बताए।
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क्या किसी कानून पर अमल रोका जा सकता है?
बिल पर अमल का अधिकार कार्यपालिका का है। अमल के लिए नियम और दिशा-निर्देश होते हैं। कृषि कानूनों को लागू करने के नियम अभी बने ही नहीं हैं। यानी वे लागू ही नहीं हैं, तो फिर उन्हें रोक कैसे सकते हैं।
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क्या पहले कभी ऐसा हुआ है कि बिल संसद में पारित हो गया और उस पर अमल नहीं हुआ
इसका सबसे बड़ा उदाहरण नागरिकता कानून संशोधन एक्ट (CAA) है। यह पिछले साल संसद से पारित हुआ था। लेकिन, अभी तक इस कानून को लागू करने के नियम और दिशा-निर्देश नहीं बनाए गए हैं। इसलिए यह कानून अभी तक कोल्ड स्टोरेज में है।
अगर सरकार जल्दी ही नियम बना लेती है तो?
सुप्रीम कोर्ट चाहे तो केस चलने तक अमल के नियम नहीं बनाने का आदेश भी दे सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का इरादा क्या लगता है?
सरकार और किसानों में बातचीत में प्रगति नहीं हो पा रही। कोर्ट संभावना तलाश रहा है कि क्या बातचीत जारी रहने तक कानूनों को बेअसर रखा जा सकता है। मुझे लगता है कि कोर्ट का यह कदम समाधान की दिशा में है।
क्या कोई सरकार कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए अध्यादेश भी ला सकती है?
नहीं। किसी भी कानून को निष्प्रभावी या रद्द करने के लिए संसद का सत्र एकमात्र विकल्प है। वैसे कानून पर अमल रोकने के लिए नियम नहीं बनाना ही ज्यादा कारगर तरीका है।