राहुल गांधी अगर खुद अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं हुए या फिर उनके नाम पर कुछ भी किंतु-परंतु हुआ तो इस बात की पूरी संभावना है कि प्रियंका गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपे जाने पर रजामंदी हो जाए। क्योंकि अभी तक किसी भी ऐसे गैर गांधी के नाम पर सहमति नहीं बन सकी है जो सर्वस्वीकार्य हो।
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शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ बैठक शुरू हो चुकी है। तमाम दिग्गज नेता, अशोक गहलोत, भूपिंदर सिंह हुड्डा, मनीष तिवारी, एके एंटनी, पी चिदंबरम समेत कई नेता इस बैठक में शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की निर्णायक बैठक में राहुल की मनाही के बाद विकल्प के तौर पर प्रियंका के नाम पर सहमति बन सकती है। इस फार्मूले पर दस जनपथ परिवार और पार्टी के रणनीतिकारों के बीच समझदारी बन गई है।
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बताया जाता है कि इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा सक्रिय भूमिका भी प्रियंका गांधी निभा रही हैं। उनकी पहल पर ही गुट-23 के प्रमुख नेताओं और सोनिया गांधी की मुलाकात और बैठक मुमकिन हो सकी है। सोनिया गांधी के साथ इस बैठक में कमलनाथ और प्रियंका गांधी के अलावा राहुल गांधी भी मौजूद रह सकते हैं। जबकि गुट-23 के प्रमुख नेताओं में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल समेत कुछ अन्य नेता होंगे। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शामिल होने की भी संभावना है।
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यह जानकारी देते हुए कांग्रेस में प्रियंका के निकटवर्ती सूत्रों ने बताया कि जिस तरह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच राहुल गांधी और उनकी टीम की कार्यशैली को लेकर आपत्तियां और सवाल हैं, उसे देखते हुए कमलनाथ के लिए भी राहुल के नाम पर सबको राजी करना बहुत मुश्किल हो रहा है। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए राहुल के नाम पर सहमति बनाने की जिम्मेदारी कमलनाथ को खुद सोनिया गांधी ने सौंपी है।
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लेकिन कमलनाथ ने अब तक जितने भी वरिष्ठ नेताओं से बात की है उनमें ज्यादातर ने दबे स्वर में राहुल के नाम पर असहमति जाहिर की है। जबकि कुछ नेताओं ने तो सीधे-सीधे यहां तक कह दिया है कि हम बिना गांधी के कांग्रेस की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं, लेकिन राहुल की जगह अगर प्रियंका को पार्टी की कमान सौंपी जाए तो ज्यादा बेहतर होगा।
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कांग्रेस के टिकट पर दो बार लोकसभा चुनाव लड़ने वाले और प्रियंका गांधी के सलाहकार मंडल के सदस्य आचार्य प्रमोद कृष्णम ने तो इसी साल 22 नवंबर को ट्वीट करके प्रियंका गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग की थी। अपने ट्वीट में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने लिखा, ‘देश के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य़ को देखते हुए कांग्रेस के करोड़ों कार्यकर्ताओं की भावना है कि पार्टी की कमान प्रियंका गांधी को सौंप दी जाए, ताकि मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे देश में एक जन आंदोलन खड़ा किया जा सके।
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कांग्रेस में प्रियंका को अध्यक्ष बनाने कि मांग पहले भी कई बार उठती रही है, लेकिन दबे स्वर में। कांग्रेस के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी के साथ गुट-23 और अन्य वरिष्ठ नेताओं की बैठक भी प्रियंका की ही पहल पर हो रही है। पिछले दिनों जब कमलनाथ ने दिल्ली आकर प्रियंका गांधी से मुलाकात की और उन्होंने गुट-23 और अन्य वरिष्ठ नेताओं की चिंताओं पर चर्चा की तो प्रियंका ने कहा कि इन सभी नेताओं के साथ कांग्रेस अध्यक्ष की सीधे बातचीत क्यों नहीं कराई जानी चाहिए। बेहतर होगा कि पत्र लिखने या मीडिया में बयानबाजी करने की बजाय ये सभी नेता अपनी बात सीधे कांग्रेस अध्यक्ष से कहें। इससे दोनों के बीच संवादहीनता खत्म होगी और समस्या का कोई हल निकल सकेगा।
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कमलनाथ को यह बात जंच गई। तब प्रियंका ने अपने कमरे में लगे इंटरकॉम पर सोनिया और कमलनाथ की बात कराई। जिसमें यह सहमति बनी कि इस तरह की बैठक होनी चाहिए। इसी बातचीत में सोनिया ने कमलनाथ को नेताओं के बीच राहुल के नाम पर सहमति बनाने की जिम्मेदारी भी सौंपी।
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सूत्रों का यह भी कहना है कि कमलनाथ लगातार प्रियंका के संपर्क में हैं। सोनिया से बात करने के बाद उन्होंने गुट-23 के प्रमुख नेताओं गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल आदि से चर्चा की। इस बातचीत में ज्यादातर नेताओं ने राहुल गांधी और उनकी टीम की कार्यशैली को लेकर अपनी चिंताएं और असहमतियां जाहिर की हैं। यह बात कमलनाथ ने प्रियंका को बताई।
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इसके बाद सोनिया राहुल और प्रियंका में यह सहमति बनी कि पहले सभी वरिष्ठ नेताओं को राहुल गांधी के नाम पर ही राजी करने की पूरी कोशिश होगी और राहुल उन्हें भरोसा भी देंगे कि उनकी सलाह और मशविरे को पूरा महत्व दिया जाएगा। लेकिन अगर फिर भी वरिष्ठ नेता राजी नहीं हुए तो खुद राहुल अपने पुराने रुख पर कायम रहते हुए अध्यक्ष पद के लिए इनकार कर देंगे और इसके बाद प्रियंका के नाम पर सहमति बनवा ली जाएगी।
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एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के मुताबिक सोनिया गांधी की कोशिश है कि पार्टी एक मौका राहुल गांधी को और दे इसलिए वह पहले राहुल को ही आगे रखेंगी। लेकिन अगर वरिष्ठ नेता नहीं माने तो विकल्प के तौर पर प्रियंका को आगे लाया जाएगा और उनके नाम पर किसी को एतराज हो ऐसी संभावना न के बराबर है। क्योंकि नेतृत्व को लेकर बागी तेवर अपनाने वाले गुट-23 के नेता भी जानते हैं कि आम जनता और कार्यकर्ताओं के बीच कांग्रेस का मतलब गांधी परिवार ही है और उनकी अपनी पार्टी से इतर कोई हैसियत नहीं है।
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इसलिए अगर राहुल की जगह प्रियंका आती हैं तो उनका अस्तित्व भी बचा रहेगा और पार्टी भी बची रहेगी। लंबे समय तक राजीव गांधी और सोनिया गांधी के बेहद विश्वस्त रहे एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के मुताबिक अगर प्रियंका आगे आकर पार्टी का नेतृत्व करती हैं तो न सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ता बल्कि आम जनता में भी कांग्रेस को लेकर एक नया भरोसा और उत्साह पैदा होगा।