उज्जैन। महाकाल कॉरिडोर और वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बारे में तो देश जानता है। लेकिन अब उत्तर प्रदेश में एक ऐसा कॉरिडोर बनने जा रहा है जो इन दोनों के मुकाबले बहुत बड़ा है। इस कॉरिडोर पर 232 करोड़ रुपये का बजट खर्च होगा। बात हो रही है बरेली में बन रहे नाथ कॉरिडोर की। दिल्ली और लखनऊ के बीचों-बीच स्थित बरेली शहर को लंबे समय से नाथ नगरी का नाम देने की मांग होती रही है। इसका कारण बरेली में सात नाथ मंदिरों का होना है।
श्रद्धालुओं की लंबे समय से मांग रही है कि बरेली को उज्जैन, वाराणसी की तरह विकसित किया जाए। नाथ मंदिरों में सुविधाओं का विस्तार किया जाए। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद उस दिशा में काम शुरू हुआ। बरेली को नाथ कॉरिडोर की सौगात मिली। मध्य प्रदेश के उज्जैन में बने महाकाल कॉरिडोर की लंबाई 900 मीटर है। वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर का कॉरिडोर 300 मीटर लंबा है। बरेली में सातों नाथ मंदिरों के कॉरिडोर की लंबाई 32 किमी है। ऐसे में साफ है कि यह सबसे बड़ा कॉरिडोर होगा।
सातों नाथ मंदिरों को जोड़ने का होगा काम
बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) नाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। योजना के तहत अलखनाथ मंदिर, तपेश्वरनाथ मंदिर, धोपेश्वरनाथ मंदिर, त्रिवटीनाथ मंदिर, बनखंडीनाथ मंदिर, पशुपतिनाथ मंदिर और मढ़ीनाथ मंदिर को आपस में जोड़ा जाएगा। सातों नाथ मंदिरों को जोड़ने पर 232 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
भगवान शिव के नजर आएंगे विभिन्न स्वरूप
नाथ कॉरिडोर को सात जोन में बांट कर तैयार किया जा रहा है। सभी सात जोन में भगवान शिव के विभिन्न स्वरूप नजर आएंगे। निजी और सरकारी संस्थानों की दीवारों पर शिव संकल्पना पर वॉल पेंटिंग करवाई जाएगी। सभी चौराहों और रोटरी का विकास भी शिव प्रतीकों के आधार पर किया जाएगा।