भिंड। मध्य प्रदेश के भिंड और उत्तर प्रदेश के इटावा को जोड़ने वाली चंबल नदी पर मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी लिंक की तर्ज पर तार समर्थित पुल का निर्माण जनवरी के आखिरी सप्ताह में शुरू होगा। यह पुल 24 महीने में तैयार होगा।
इस पुल के निर्माण से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच यातायात में सुगमता आएगी, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, खासकर जब पुराने पुल के बार-बार क्षतिग्रस्त होने के कारण आवागमन में रुकावटें आती रही हैं। मप्र सरकार द्वारा स्वीकृत अटल प्रोग्रेस-वे इस पुल के माध्यम से सीधे बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे से जुड़ जाएगा।
चंबल नदी पर 1975 में बना पुराना पुल अब 50 साल पुराना हो चुका है, और इसे 15 साल में 22 बार क्षतिग्रस्त किया गया है। तीन साल पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पुल और यमुना नदी से चंबल नदी तक चार लेन सड़क और नया पुल बनाने के लिए 296 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी थी। पुल का निर्माण कार्य दिल्ली की एएससी इंफ्राटेक लिमिटेड कंपनी द्वारा किया जा रहा है कंपनी ने पुल निर्माण की तैयारी तेज कर दी है, जब वन विभाग और चंबल अभयारण्य से 31 जुलाई को अनुमति मिली।
राष्ट्रीय राजमार्ग खंड अधिशासी अभियंता मुकेश ठाकुर के मुताबिक, यह पुल बांद्रा-वर्ली सी लिंक की तर्ज पर तार समर्थित होगा। पुल की चौड़ाई 14 मीटर और लंबाई 594 मीटर से अधिक होगी, जबकि इसकी ऊंचाई पुराने पुल से 122 मीटर अधिक, यानी 130 मीटर से ज्यादा होगी। इसका मुख्य स्पैन केबल से होगा, जिसमें कंक्रीट, स्टील और प्रीकास्ट सेगमेंट का उपयोग किया जाएगा।
यमुना नदी से चंबल पुल तक बनने वाली 8.1 किलोमीटर लंबी सड़क को चार लेन किया जाएगा, जिसमें डिवाइडर और स्ट्रीट लाइट भी लगाई जाएंगी। पुल और सड़क निर्माण के लिए 296 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है, जिसमें पुल की लागत 130 करोड़ और सड़क की 166 करोड़ रुपये है।