नरसिंहपुर. ‘न हल्दी, न बैंड बाजे, न डीजे और न ही कोई दावत…! खास बात तो ये भी न ही कोई दहेज, न कोई वरमाला, न कोई सिंदूर भराई और न ही कोई फेरे! देखा है ऐसा कोई विवाह, जहां 17 मिनट में बन गई जोड़ी. जी हां, नरसिंहपुर के करेली में ऐसा ही एक विवाह संपन्न हुआ. विवाह में राजस्थान के उदयपुर के रहने वाले मनीष दास की करेली की रहने वाली गरिमा दासी से शादी हुई.
इस मौके पर दूल्हे मनीष का कहना है कि जब हम साधन संपन्न हैं तो फिर दहेज क्यों ? दहेज मुक्त विवाह से बेटियों के पिता कभी कर्जदार नहीं हो सकते. वहीं दुल्हन गरिमा का कहना है कि शादी की गरिमा दिखावे और शोर-शराबे से नहीं होती. देश की बड़ी ताकत है अनेकता में एकता. बता दें, इस शादी में मेहमान तो थे, पर कोई दावत नहीं. और न ही कोई ऐसे दस्तूर जो ज्यादातर शादियों में देखने मिलते हैं.
इस विवाह को कहते हैं रमैनी
कबीर पंथ को मानने वाले रामपाल के अनुयायी बताते हैं कि दहेज और जातिवाद से दूर ये संस्कार होते हैं. इसमें कुरीतियों पर प्रहार किया गया है. इस विवाह को रमैनी कहते हैं, जिसमें सत्रह मिनिट की रमैनी पढ़ी जाती है. कहा जाता है कि रमैनी में 33 करोड़ देवी-देवताओं का आह्वान कर उन्हें साक्षी मान विवाह सम्पन्न होता है और उनका आशीर्वाद मिलता है.
कुरीतियों पर प्रहार कर की शादी
नरसिंहपुर के सेवादार हरिदास का कहना है कि माता-पिता के लिए सन्तान की शादी बड़ा सपना होता है. बेटी की शादी होती है वह भी बिना दहेज के. दुल्हन के पिता बताते हैं कि कोरोना काल में इस तरह का आयोजन प्रासंगिक है. उनका कहना है कि कुरीतियों पर प्रहार करते उनके गुरु के अनुसार ये शादी की गई. कबीर पंथ में भक्त और भक्तन की शादी जात-पात भूल ऐसे ही बिना दहेज के होती हैं. उन्होंने बताया कि सत्रह मिनिट की रमैनी में एक छोटे से मंच पर गुरु की चरण पादुकाएं रखी जाती हैं. दूल्हा-दुल्हन एक दूसरे के आमने-सामने होते हैं. रामपाल की एक किताब दूल्हा-दुल्हन को भेंट की गई और फिर ग्रुप फ़ोटो का सिलसिला चला. बता दें, लड़का सोनी परिवार और लड़की ब्राम्हण परिवार से है. इस पंथ में सब गुरुभक्त एक हैं.