ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के सामने एक अजब ग़ज़ब मामला आया है। मामला अनुकंपा नियुक्ति का है। जहां एक युवती ने खुद को मृतक युवक की पत्नी बताते हुए अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए दावा किया है। वहीं मृतक की मां का दावा है कि उनके बेटे की शादी ही नहीं हुई थी। ऐसे में हाई कोर्ट के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है। कि अनुकंपा नियुक्ति पर पहला हक पत्नी का है या परिजन का हाईकोर्ट ने इस मामले में दो एडवोकेट को न्यायमित्र बनाया है वहीं शासन को भी नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
जिला अस्पताल मुरैना में सहायक वर्ग-2 ( ड्रेसर) के पद पर कार्यरत रहे युवक सुनील अर्गल की 5 नवंबर 2022 को मृत्यु हो गई थी, इस मामले में एक युवती प्रियंका ने खुद को मृतक सुनील की पत्नी बताते हुए अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए दावा किया है। वहीं मृतक सुनील की मां ने दावा किया है कि जिस समय बेटे की मौत हुई, उस समय उसकी शादी ही नहीं हुई थी। और सिविल सर्जन मुरैना के 8 मई 2023 के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। वहीं प्रियंका की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि 22 अप्रैल 2022 को उसका विवाह सुनील अर्गल के साथ हुआ था। प्रमाण के लिए उसने शादी के फोटोग्राफ भी संलग्न किए हैं। 5 नवंबर 2022 को सुनील की मौत हो गई थी। 5 दिसंबर 2022 को प्रियंका ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया, जिस पर सिविल सर्जन ने प्रियंका को उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की बात कही है। अब हाई कोर्ट द्वारा इस मामले में नियुक्त न्याय मित्र अपने एंगल से इस मामले की जांच पड़ताल कर रहे हैं। और कोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
इस अजब गजब मामले में हाईकोर्ट के समक्ष सबसे बड़ा प्रश्न ये है कि यदि पत्नी (यदि ये मान लिया जाए याचिकाकर्ता ही वास्तविक पत्नी है) को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ दे दिया गया और बाद में उसने किसी अन्य व्यक्ति से शादी कर ली तो ऐसी स्थिति में मृतक के परिवार का कल्याण कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है ? क्योंकि मृतक सुनील का परिवार उस पर ही आश्रित था..सुनील के पिता का भी निधन हो चुका है।