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Friday, September 20, 2024

ग्वालियर में एक महिला की 15 घंटे में हुई दो बार माैत

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ग्वालियर। सड़क दुर्घटना में घायल होकर उप्र के महोबा से ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल (जेएएच) के ट्रामा सेंटर में इलाज ले रही 31 साल की जामवती को 15 घंटे बाद डाक्टरों ने दूसरी बार मृत घोषित किया। शनिवार सुबह 11 बजे मृत्यु की पुष्टि करने से पहले जामवती के शरीर की तीन बार ईसीजी जांच की और वरिष्ठ डाक्टरों ने खुद परीक्षण किया। इसके बाद स्वजन को सूचना दी और शव विच्छेदन के लिए मोर्चुरी (शव विच्छेदन गृह) भेजने की सहमति ली। स्वजन बिना शव विच्छेदन के जामवती का शव घर ले जाने के लिए अड़ गए। साथ ही उन्होंने डाक्टरों से आर्थिक सहायता और शव को घर तक वाहन भेजने की मांग करते हुए हंगामा कर अभद्रता की। हंगामे की सूचना पर कंपू थाना पुलिस ट्रामा सेंटर पहुंची। यहां स्वजन को समझाया, जिसके बाद शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद घर ले जाने दिया।

सड़क हादसे में घायल महोबा निवासी 31 वर्षीय जामवती पत्नी निरपत राजपूत बाइक से गिरकर घायल हुई तो स्वजन उसे पहले हरपालपुर और फिर झांसी इलाज के लिए ले गए। सिर में गंभीर चोट होने के बाद महिला को ग्वालियर के जेएएच में रेफर कर दिया गया। गुरुवार रात से महिला का ट्रामा सेंटर में इलाज चल रहा था। शुक्रवार शाम करीब चार बजे जामवती को एनेस्थीसिया के डा. इरफान ने बिना ईसीजी किए मृत घोषित कर दिया था। जामवती के पति निरपत जब शव लेकर मोर्चुरी पहुंचे तो वहां पर उन्हें जामवती की सांस चलती मिली। इसके बाद वह वापस ट्रामा सेंटर पहुंचे और जामवती को पुन: भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया था। इस मामले में गजराराजा मेडिकल कालेज के डीन ने मरीज जामवती को शुक्रवार शाम बिना ईसीजी जांच के मृत घोषित करने की लापरवाही में दो डाक्टरों के खिलाफ जांच करने तीन सदस्य दल गठित किया है। जेएएच अधीक्षक डा. आरकेएस धाकड़ की ओर से जूनियर रेजिडेंट डा कृष्ण कुमार सोनी को बर्खास्त करने के लिए डीन को पत्र लिखा, साथ ही तीन सदस्य दल का अलग से गठन किया।

जामवती की मृत्यु शनिवार सुबह हुई, शव पोस्टमार्टम के बाद स्वजन ले गए। शुक्रवार को बिना ईसीजी के मृत घोषित करने के मामले में डाक्टर को बर्खास्त करने पत्र लिखा गया है। डीन ने तीन सदस्य दल गठित किया, जो तीन दिन में रिपोर्ट देगा। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। जूनियर डाक्टर ने बिना ईसीजी के मरीज को मृत घोषित किया, जो गलत है। उसे सीनियर डाक्टर को बताना था, वे परीक्षण के उपरांत निर्णय लेता। ईसीजी मशीन थी, उसका उपयोग नहीं किया। एक डाक्टर की बर्खास्तगी के लिए डीन को पत्र लिखा है और तीन सदस्य दल गठित किया है

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