नई दिल्ली। यौनकर्मियों को अब बिना निवास प्रमाण या पहचान पत्र के आधार कार्ड मिलेगा। बस उनके पास प्रदेशों के स्वास्थ्य विभाग के राजपत्रित अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र होना चाहिए। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकारण (UIDAI) ने अपनी दरियादिली दिखाई है। 28 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यौनकर्मी आधार के लिए आवेदन कर सकती हैं। अगर उनके पास राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के साथ काम करने वाले एक अधिकारी द्वारा जारी सर्टिफिकेट है।
यूआईडीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अगर उनके पास सही सर्टिफिकेट है। तब आधार कार्ड जारी करने के लिए कोई अन्य डोमिसाइल दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। गौरतलब है कि आधार कार्ड कई सेवाओं का लाभ उठाने के लिए भारतीय नागरिकों का महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट बन गया है। विभिन्न केंद्रीय और राज्य योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड की जरूरत होती है। इसमें कार्डधारक का नाम, जन्मतिथि, बायोमेट्रिक, ई-मेल आईडी और फोन नंबर आदि शामिल होते हैं। 12 अंकों की संख्या एक भारतीय व्यक्ति की डिजिटल पहचान है।
यूआईडीआई ने यौनकर्मियों से आधार कार्ड जारी करने के लिए आवासीय प्रमाण नहीं मांगने का निर्णय लिया है। साथ ही उस सर्टिफिकेट को स्वीकार करेगा। जिसे राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के अधिकारी या राज्य के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मिला हो। बता दें यह मामला 2011 से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। अदालत देश में लाखों यौनकर्मियों के लिए खाद्य सुरक्षा की कमी को लेकर चिंतित था। कोरोना महामारी के साथ दुर्दशा कई गुना बढ़ गई। जस्टिस एल.एन.राव जब इसकी सुनवाई कर रहे थे। तब यूआईडीआई ने इसके लिए पहचान पत्र का एक प्रस्तावित प्रोफार्मा अदालत के सामने रखा था। इस याचिका में कई मुद्दे शामिल किए गए हैं। इसमें पुनर्वास योजना तैयार करने का भी मुद्दा शामिल है, जो देह व्यापार से बाहर आना चाहते हैं।