इंदौर। आयुर्वेद में एसिडिटी को अम्ल पित्त कहा जाता है, जो आमतौर पर भोजन के सही तरीके से न पचने के कारण होती है। इसे हमारे शरीर की गैस्ट्रिक फायर से जोड़ा जाता है। यदि इसका संतुलन बिगड़ता है, तो पाचन प्रभावित होता है। आयुर्वेदाचार्य भावना पालीवाल (BAMS) ने एसिडिटी से राहत पाने के लिए 5 प्रभावी उपाय सुझाए हैं।
एसिडिटी को दूर करने के 5 आयुर्वेदिक उपाय
1. अनार
अनार पाचन को सुधारने और भूख बढ़ाने में मदद करता है। यह एसिडिटी और अपच के लिए बेहतरीन उपाय है। इसे जूस के बजाय साबुत फल के रूप में, खासकर सुबह नाश्ते में खाएं।
2.मिश्री
धागे वाली मिश्री पित्त को शांत करती है और शरीर की जलन को कम करती है। इसे दूध या सौंफ के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं।
3.मूंग दाल
मूंग दाल सुपाच्य होती है और पित्त रोगियों के लिए प्रोटीन का आदर्श स्रोत है। यह पाचन सुधारने के साथ-साथ भूख भी बढ़ाती है। इसे अपने रात के भोजन में शामिल करें।
4.कुष्मांड (पेठा)
पेठा या कोहड़ा पित्त को शांत करने में बेहद प्रभावी है। इसे सब्जी, पानी, या आयुर्वेदिक अवलेह के रूप में सेवन करें। यदि ताजा पेठा उपलब्ध न हो, तो बाजार में मिलने वाले कुष्मांड अवलेह का उपयोग कर सकते हैं।
5.सत्तू
सत्तू न केवल पाचन सुधारता है, बल्कि पित्त रोगियों के लिए प्रोटीन का एक बेहतर विकल्प भी है। यह भूख बढ़ाने और अम्लता को कम करने में मदद करता है।